News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)
सिरमौर जिला की लोक संस्कृति व परंपराओं को संजोए रखने के लिए मशहूर गिरिपार क्षेत्र में माघी पर्व पर नाटियों का दौर शुरू हो चुका है। एक तरफ पंचायती राज चुनाव की बेला पर लोग प्रचार में व्यस्त है, वहीं गिरिपार के अधिकतर गांवों में मकर संक्राति व माघी पर्व की खूब धूम रही। क्षेत्र में मकर संक्राति का पर्व बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उपमंडल संगड़ाह के नौहराधार व देवामानल में सांझे आंगन में नाटियों का दौर चला, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक गीतों से खूब समा बांधा तथा लोगों का भरपूर मनोरंजन किया।
देवामानल में स्थानीय कलाकार शमशेर सिंह ने सर्व प्रथम सिरमौर की मशहूर नाटी भरतरी से कार्यक्रम का आगाज किया। इन्होने इसके बाद टूलकी, उबा कुदानों रा किला, तीली मुखे सुने री घड़ाई दे आदि नाटियों से श्रोतागण नाचने पर विवश हो गए। यही नही इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों की नाटियों पर विभिन्न क्षेत्रों से आए मेहमान महिलाओं ने जमकर नाटियां डाली। गौरतलब है कि माघी के इस विशेष पर्व पर लोगों द्वारा एक दुसरे के घर जाकर मेहमानबाजी का दौर चलता है। जिसमें कई गांव में दिनभर पारंपरिक नाटियों से मेहमान आए लोगों के मनोरंजन के लिए नाटियां डाली जाती है।
करीब अढ़ाई लाख आबादी वाले गिरिपार क्षेत्र में माघी साल का सबसे शाही व खर्चीला त्यौहार कहा जाता है। इस पर्व पर महीने भर मेहमाननवाजी का दौर चलता है तथा पटांडे, खीर, असकली विशेष रूप से बनाते है। आधुनिकता व पाश्चात्य संस्कृति के इस दौर में भी यहां लोग अपनी लोक संस्कृति का संरक्षण किए हुए है। मकर संक्रान्ति से ठीक सात दिन बाद यहां खोड़ा पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर भी कई गांवों में भी नाटियां डाली जाती है।
Recent Comments