News portals-सबकी खबर (शिमला )
हिमाचल प्रदेश के परंपरागत लाल चावल, कुल्थ व राजमाह को सरकार बड़ा बाजार दिलाने की तैयारी में है। यहां के इन उत्पादों की महक और इनका स्वाद लोग नहीं भूलते। ऐसे में सरकार चाहती है कि इनका उत्पादन बढ़ाया जाए, जिससे उत्पादकों को भी बड़ी राहत मिलेगी। कृषि विभाग ने इनको संजीवनी देने की तैयारी कर ली है। इनसे प्रदेश के बाजार गुलजार होंगे। बताया जाता है कि सेहत को लेकर लोगों में तेजी से बढ़ रही जागरूकता की वजह से भी पारंपरिक लाल चावल की मांग बढ़ रही है, क्योंकि शुगर रोग में यह काफी प्रभावी रहता है। लाल चावल हिमाचल में सैकड़ों सालों से पैदा हो रहा है, मगर जल स्रोतों के सूखने के साथ साथ लोगों के नकदी फसलों की तरफ रुझान बढ़ने की वजह से इसकी पैदावार कम होने लगी।
लोगों ने इसे उगाना छोड़ दिया, मगर अब रासायनिक खादों से तैयार होने वाली फसलों से सेहत को होने वाले नुकसान को भांपते हुए लोगों ने एक मर्तबा फिर से लाल चावल के साथ अन्य पारंपरिक फसलों को भोजन में उपयोग करना आरंभ किया है। प्रदेश के कुल्लू, मंडी, शिमला, कांगड़ा व सिरमौर जिलों में लाल चावल की खेती करीब एक हजार हेक्टेयर भू-भाग में हो रही है। इसे बढ़ा कर पांच हजार हेक्टेयर तक ले जाने की विभाग की योजना है। जानकारों का कहना है कि लाल चावल में खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने की असीम शक्ति है। साथ ही इसमें फाइबर, जिंक, आयरन, नियानिस तथा विटामिन डी जैसे तत्त्व भी पाए जाते हैं। लाल चावल में ऑक्सीडेंट ज्यादा पाए जाते हैं। कैंसर के उपचार के लिए भी इसका उपयोग करने पर शोध चल रहे हैं। छौहरटू, सुकारा, लाल झीनी प्रदेश में पैदा होने वाले लाल चावल की प्रमुख किस्में हैं।
किसानों को देंगे बीज
कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर का कहना है कि लाल चावल के साथ-साथ विभाग ने कुल्थ, राजमाह व माह की दाल के उत्पादन को बढ़ाने के मद्देनजर 15 फार्मों में इनका बीज तैयार कर किसानों को देने की योजना बनाई है। वीरेंद्र कंवर का कहना है कि विभाग ने 15 फॉर्मों में लाल चावल के साथ प्रदेश की पारंपरिक दालों के बीजों का उत्पादन कर किसानों को देने की योजना बनाई है।
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