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प्रदेश में बनी सभी नई पंचायतों के कार्य सरकारी भवनों में ही चलेंगे। पंचायती राज विभाग की ओर से जिला पंचायत अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वे नई बनी पंचायतों के कार्य सुचारू रूप से चलवाना सुनिश्चित करें। राज्य में 398 ऐसी पंचायतें हैं, जिनके पास अपने पंचायत भवन नहीं हैं। ऐसे में इन पंचायतों के कार्य आसपास के सरकारी भवनों में चलेंगे। राज्य में कुछ बड़ी पंचायतों को तोड़ने के बाद नई पंचायतें बनी थीं, जिनमें चुनावों का आयोजन किया गया। ऐसे में यहां पर प्रधान, उपप्रधान, वार्ड मेंबर चुनकर आए हैं। अब पंचायतों का कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए इन्हें भवन की जरूरत पड़ेगी, लेकिन 398 पंचायतों के पास अपने भवन ही नहीं हैं।
ऐसे में पंचायती राज विभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि पंचायतों के कार्य के संचालन के लिए जब तक पंचायत के पास अपना सामुदायिक केंद्र (पंचायत घर) का निर्माण नहीं किया जाता, तब तक नई ग्राम पंचायतों में कार्य संचालन के लिए कार्यालय चलाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा यदि नई बनी ग्राम पंचायत के मुख्यालय में सरकारी कार्यालय की कोई भी व्यवस्था नहीं है, तो उस स्थिति में नवगठित ग्राम पंचायत का कार्यालय पुरानी पंचायत, जिससे उसे अलग किया गया है, उसमें ही चलाया जाएगा। इसके अलावा जिन नई पंचायतों के पास अभी अपने सचिव नहीं हैं, उनके सचिव का जिम्मा भी पुरानी पंचायत के सचिव ही संभालेंगे, जिन पंचायतों से ये अलग हुए हैं। ऐसे में एक सचिव के पास दो पंचायतों का जिम्मा होगा। यह सब व्यवस्था करने की जिम्मेदारी विभाग के पंचायत अधिकारियों को दी गई है।
निर्विरोध चुनी पंचायतों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि
पंचायती राज चुनावों में यह व्यवस्था भी की गई है कि जिन पंचायतों में सभी मेंबर, प्रधान-उपप्रधान आपसी सहमति से चुने गए हैं, उन्हें प्रोत्साहन राशि जारी की जाएगी। प्रत्येक पंचायत को 10 लाख रुपए दिए जाएंगे। पंचायती राज विभाग का कहना है कि जल्द ही पंचायतों को यह राशि जारी कर दी जाएगी, जिसके बाद पंचायत इस राशि को विकास कार्य के लिए प्रयोग करेगी।
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