News portals-सबकी खबर (पालमपुर )
राज्यपालकिसी पार्टी का नहीं होता। प्रदेश में संवैधानिक प्रमुख के रूप में वह भारत के संविधान का प्रतीक होता है। राज्यपाल से दुर्व्यवहार भारत के संविधान का अपमान है, यह बहुत बड़ा अपराध है। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का। उन्होंने कहा कि विधानसभा के प्रवेश द्वार पर राज्यपाल के साथ हुए दुर्व्यवहार से और उसके बाद होने वाली सभी घटनाओं से बहुत अधिक आहत हुए हैं।
प्रदेश के इतिहास में इस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पहली बार घटी है। आज से 50 साल पहले वह पहली बार हिमाचल विधानसभा के सदस्य बने थे और डा. परमार मुख्यमंत्री थे। हिमाचल विधानसभा अपने अच्छे व्यवहार के कारण पूरे भारत में प्रसिद्ध है, लेकिन इस बार की घटना ने हिमाचल को पूरे देश में बदनाम किया है।
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से दूरभाष पर बात की है और उनसे आग्रह किया है कि राज्यपाल से दुर्व्यवहार अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, वह कांग्रेस विधायकों को इसके लिए क्षमा याचना के लिए कहें। यह स्पष्ट रूप से भारत के संविधान का अपमान है। इतना बड़ा अपराध करने पर उस पर जिद से खड़े रहना और भी दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस विधायक क्षमा याचना करेंगे, तो उनका कद छोटा न होकर, बड़ा होगा।
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