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हिमाचल में जैसे-जैसे पानी की कमी हो रही है, उससे न केवल सूखे का संकट खड़ा हो गया है, बल्कि बिजली का संकट भी खड़ा हो गया है। पिछले साल और इस साल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं, क्योंकि बिजली उत्पादन घट गया है। यही रफ्तार रहती है कि आने वाले दिनों में यहां पर बिजली की भारी कमी हो सकती है।
इस बार इस तरह के हालात जल्दी हो गए हैं। आमतौर पर ऐसे हालात मई व जून महीने में होते थे। गर्मियों के दिनों में पड़ोसी राज्यों को हिमाचल बिजली देता है, मगर इस बार के हालात अभी तक सही नहीं है। अभी भी पड़ोसी राज्यों से बिजली लेनी पड़ रही है, क्योंकि इतनी ज्यादा बर्फबारी इस साल नहीं हुई।
वहीं अभी ग्लेशियर भी नहीं पिघल रहे। ऐसे में नदियों में जलस्तर कम हो चला है, जिसका असर बिजली उत्पादन पर भी दिखने लगा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ये हालात सुधर सकते हैं, लेकिन इसके लिए मौसम का मिजाज बदलना जरूरी है।
वहीं, मार्च महीने के जो आंकडे़ सामने आए हैं, उनके अनुसार पिछले साल मार्च महीने में 1111 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था, लेकिन इस साल 31 मार्च तक के जो आंकड़े हैं, उनके अनुसार 596 लाख यूनिट बिजली का ही उत्पादन हो सका है। इसमें 515 लाख यूनिट बिजली की कमी देखी गई है। ये आंकड़े बिजली बोर्ड की परियोजनाओं के हैं।
फरवरी महीने से ही यहां पर उत्पादन में कमी होनी शुरू हो चुकी थी, जिसमें पिछले साल में 797 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन फरवरी में हुआ था, वहीं इस साल फरवरी महीने में 495 लाख यूनिट का ही उत्पादन हो सका है। सरकार ने साफ किया है कि आम जनता को बिजली कट न सहने पड़ें, इसके लिए व्यवस्थाएं की जाएंगी और फॉरवर्ड बैंकिंग के माध्यम से बिजली दूसरे राज्यों से लेंगे। इसका सिलसिला यहां पर शुरू भी कर दिया गया है,
मगर बड़ी बात है कि सर्दियों के संकट में जो बिजली बैंकिंग आधार पर ली गई है, उसे वापस किया जाना है। इसके अलावा बिजली खरीदकर भी यहां के लोगों को उपलब्ध करवाने की बात सरकार ने कही है। उधर, ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी का कहना है कि बिजली उत्पादन में कमी देखी जा रही है, जो कि इन महीनों में बढ़नी चाहिए थी। अभी तक इसमें उछाल नहीं आया है, जिससे आने वाले दिनों का संकट बढ़ सकता है।
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