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कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा मापने के लिए इस्तेमाल होने वाले ऑक्सीमीटर की बढ़ी मांग के बीच दवा की दुकानों में इनका स्टॉक तक खत्म हो गया है। हिमाचल प्रदेश में कंपनियों ने 800 रुपये के ऑक्सीमीटर के दाम पांच गुना यानी 1800 से 4000 रुपये तक बढ़ा दिए हैं। दवा विक्रेता ऑक्सीमीटर नहीं मंगवा पा रहे हैं।
कीमतों में उछाल के बाद चाइनीज ऑक्सीमीटर की खपत बढ़ गई है। ऑक्सीमीटर को अंगुली पर लगाकर आसानी से पता लगाया जा सकता है कि मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कितना है। इससे पता चलता है कि मरीज की स्थिति गंभीर है या नहीं। लोग घरों में ही ऑक्सीजन की मानीटरिंग के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन अब इन ऑक्सीमीटर की कमी होने लगी है। बाजारों में ऑक्सीमीटर की भारी किल्लत देखी जा रही है।
जिलों में ऑक्सीमीटर की कीमतों के हाल
बिलासपुर जिला अस्पताल में सहकारी दवा की दुकान चलाने वाले संजय ने बताया कि कंपनियों ने 1800 से 2000 रुपये तक इनके दाम कर दिए हैं। ऑनलाइन भी ऐसे ब्रांड मिल रहे हैं, जिनके बारे में कभी सुना ही नहीं। दवाई विक्रेता संजीव ने बताया कि ऑक्सीमीटर का जो स्टॉक था, वह खत्म हो गया है।
उधर जिला कुल्लू में लोगों को ऑक्सीमीटर 1200 से लेकर 2000 रुपये तक में मिल रहे हैं। हालांकि जिला में ऑक्सीमीटर की कमी नहीं है। सोलन में इनकी कीमत 1500 से 3000 तक पहुंच गई है। हमीरपुर जिले में इनकी कमी है। मंडी में इनकी कीमत 4000 रुपये तक वसूली जा रही है। ऊना में 1500 से 1600 रुपये में होलसेल रेट है। पांवटा में नहीं मिल रहे हैं।
एनपीपीए के अधीन न होने पर बिक रहे मनमाने दाम पर
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन भारत सरकार (सीडीएससीओ) के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर का कहना है कि ऑक्सीमीटर अभी राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के अधीन नहीं है। यह मेडिकल डिवाइस के नियमितीकरण में भी नहीं है। इसके चलते इसे मनमाने दामों पर बेचा जा रहा है। जब यह अंडर लाइसेंस होगा तो इसके दाम पर अंकुश लगाया जा सकता है।
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