News portals-सबकी खबर (शिमला )
हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के बीच पति अपनी पत्नियों को मायके नहीं भेज रहे हैं। यह सुनने में जरूर अटपटा सा लग रहा होगा, लेकिन यह हकीकत है। प्रदेश महिला आयोग में संक्रमण के बीच इस साल करीब 15 शिकायतें ऐसी मिली है, जिसमें महिलाओं ने कहा है कि उनके पति उन्हें बाहर घूमने के लिए नहीं भेज रहे हैं। छह से सात माह हो गए हैं, उन्हें अपने मायके तक जाने नहीं दिया जा रहा है।
आयोग को मिली इस प्रकार की शिकायतों से अधिकारी भी हैरान हैं कि महिलाओं की इस परेशानी का समाधान क्या निकालें। मायके न भेजने की इस तरह की ज्यादातर शिकायतें कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर जिला से हैं। वहीं, कोविड में सोशल मीडिया के माध्यम से युवतियों को ब्लैकमेलिंग की शिकायतें भी आई हैं। अभी तक सबसे ज्यादा 30 मामले ब्लैकमेलिंग के आयोग में दर्ज हुए हैं। इसमें युवतियों ने शिकायत की है कि उन्हें फोटो वायरल करने की धमकी दी जा रही है।
अब व्हाट्स ऐप, ईमेल व फोन पर भी महिलाएं अपनी समस्याएं बता सकती हैं। महिला आयोग ने राज्य भर से 60 शिकायतें महिलाओं ने व्हाट्स ऐप के माध्यम से की है। हैरानी इस बात की है कि अप्रैल माह से लेकर अभी तक 64 शिकायतें महिलाओं ने घरेलू हिंसा से संबधित की हैं। आयोग के अनुसार राज्य में घरेलू हिंसा के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। वहीं, आज के इस दौर में भी महिलाओं के ऊपर घरेलू हिंसा की जा रही है। फिलहाल अभी तक घरेलू हिंसा के जो मामले सामने आए हैं, वेे ज्यादातर चंबा, मंडी, कांगड़ा, शिमला जिला के ऊपरी क्षेत्रों व हमीरपुर से हैं। आयोग ने पहली बार महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को सामने लाने के लिए ऑनलाइन मदद मुहैया करवाई।
व्हाट्स ऐप पर शिकायतें
आयोग का दावा है कि महामारी के इस संकट में महिलाओं पर घर के अंदर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए ऑनलाइन व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया गया था। यह व्हाट्स नंबर आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध करवाया गया है, ताकि कोई भी महिला अपने उपर हो रहे अत्याचारों की शिकायत आयोग में कर सके।
दहेज प्रताडऩा का केस नहीं
महिला आयोग के अनुसार राज्य में 30 से ज्यादा शिकायते अकेले मानसिक प्रताडऩा की ही दर्ज हुई हैं। शारीरिक प्रताडऩा का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इससे यह तो साफ है कि महिलाएं अपने अधिकारों के लिए थोड़ी बहुत जागरूक हुई हैं। इस साल एक भी मामला ऐसा दर्ज नहीं हुआ है, जो दहेज प्रताडऩा संबधित हो।
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