News portals-सबकी खबर (संगड़ाह )
प्रसिद्घ आस्था स्थल शिरगुल महाराज मंदिर चूड़धार की यात्रा को हालांकि अब तक प्रशासन की अनुमति मिलना शेष हैं, मगर प्रशासनिक प्रतिबन्ध के बावजूद हर रोज हजारों लोग यहां पंहुच रहे है। अनलॉक प्रक्रिया आरंभ तथा बिना आरटीपीसीआर रिपोर्ट हिमाचल मे प्रवेश की अनुमति मिलने से हरियाणा व अन्य पड़ोसी राज्यों से भारी संख्या मे संगड़ाह व नौहराधार होकर श्रदालु करीब 12 हजार फीट ऊंची इस चोटी के ठंडे मौसम का लुत्फ उठाने पहुंच रहे है। दुर्गम जंगल तथा कठिन चढ़ाई के बावजूद शिरगुल महाराज के प्रति गहरी आस्था रखने वाले श्रदालुओं के साथ साथ मैदानी क्षेत्रों के पर्यटक भी यहां भारी संख्या मे पंहुच रहे हैं। रविवार व सोमवार को प्रदेश के अलावा उतर भारत के विभिन्न राज्यों से भारी संख्या में श्रदालु चूड़धार धाम की यात्रा करने पहुंचे। नौहराधार में सभी होटल, गेस्ट हाउस, विश्राम गृह व चूड़ेश्वर समिति की सराय मे ठहरने को जगह नहीं मिल रही है।
कपाट बंद होने व कोरोना काल के चलते चूड़धार में न ठहरने की व्यवस्था है और न ही खाने पीने की व्यवस्था है। देवता मे आस्था रखने वाले साथ लगते सिरमौर व शिमला जिला के श्रधालु हालांकि, आम तौर पर कपाट बंद होने के दौरान यात्रा नही करते, मगर बाहरी इलाकों के पर्यटकों को मंदिर खुलने से खास सरोकार नहीं रहता। शिमला जिला प्रशासन द्वारा चूड़धार के कपाट पहली जुलाई से सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक खोलने संबधी अधिसूचना जारी की जा चुकी है। कपाट अथवा यात्री सरांय बंद होने के चलते रात्रि ठहराव के लिए जंगल मे टेंट लगाकर कर रहे है और ऐसे मे कानून व्यवस्था देखने के लिए सरकार व प्रशासन कोई जिम्मेदारी नही लेता। टेंट के बाहर ठंड से बचने के लिए यात्री अलाव का सहारा ले रहे है। यात्री टेंट में ही खाने पीने की व्यवस्था भी खुद कर रहे है। चूड़धार पहुंचने के लिए नौहराधार से चार से पांच घण्टे पैदल चलकर यात्रा करनी पड़ती है। रविवार व सोमवार को दो हजार श्रदालु चूड़धार पहुंचे जिसमें अधिकतर यात्री बाहरी राज्यों के यात्री शामिल थे। चूड़धार मे भारी तादाद में पंहुच रहे यात्रियों द्वारा स्वछता का बिल्कुल ध्यान नही रखा जा रहा है।प्रसिद्ध तीर्थ स्थली चूड़धार के सुंदर चोटियों में यात्रियों की लापरवाही से फैल रही गन्दगी को लेकर समिति के सदस्यों ने चिंता व्यक्त की है। पर्यटक रास्ते मे प्लास्टिक की बोतलें, व अन्य खाने की वस्तुओं के रैपर फेंक रहे है। चूड़ेश्वर समिति के पदाधिकारियों के अनुसार चूड़धार के हिमालई जंगल मे कईं दुर्लभ जड़ी बूटियां, पेड़़ व जीवजंतु विद्यमान है तथा प्रदूषण इनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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