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November 23, 2024

आजादी को न्यौछावर कर दिए थे प्राण, शहीद मेजर दुर्गामल्ल को सम्मान तक देना भूली सरकार

News portals-सबकी खबर ( धर्मशाला )

जरा याद करो कुर्बानी… भारत देश को अग्रेंजी हुकूमत से आजाद करवाने के लिए शहीद स्वतंत्रता सेनानी शहीद मेजर दुर्गामल्ल ने हंसते-हंसते दिल्ली लाल किले में फांसी को गले से लगा लिया। इसी दौरान अपनी पत्नी से अंतिम मुलाकात में शारदा देवी के बेहोश होने पर उन्हें होश में लाते हुए कहा मैं भारत माता की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर रहा हूं, तुम किंचित भी दुखी न होना, मेरी अनुपस्थिति में करोड़ों भारतीय जनता तुम्हारे साथ होगी… शहीद के ये अंतिम शब्द आज आजादी के 75 बसंत बीत जाने के बाद भी सवाल पूछने को मजबूर हैं कि क्यों करोड़ों आज भारतीय उन्हें, उनके मान-सम्मान व उनके परिवार को पूरी तरह से भूला चुके हैं, जिस दिलेरी के साथ अंग्रेजों से लोहा लेते हुए मेजर दुर्गामल्ल ने अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया, आज उन्हें सम्मानित करने की आखिर क्यों जहमत नहीं उठा पा रहा। ये आजाद भारत की सरकारों, नेताओं, अधिकारियों व आम जनता के समक्ष एक बड़ा सवाल खड़ा है।

आज आजाद भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के साथ मना रहा है। 150 वर्षों के कड़े संघर्ष में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद करवाने के लिए हज़ारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। ऐसे में आजादी के जश्र के बीच आजाद भारत का सपना साकार करने वाले शहीद हुए सैनानियों को भी वतन के लोगों को याद कर लेना भी जरूरी होता है। स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले वीरभूमि हिमाचल के धर्मशाला के वीर जवान शहीद मेजर दुर्गामल्ल का नाम विशेष रूप से शुमार हैं। देश की आजादी को उन्होंने अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए।, आज भारत व हिमाचल की सरकारें शहीद मेजर दुर्गामल्ल को सम्मान देना भी भूल गई हैं। आजादी के 75 बसंत बीत जाने के बाद भी कोई मान-सम्मान नहीं मिल पाया है। इतना ही नहीं संसद भवन दिल्ली में शहीद मेजर की प्रतिमा का अनावरण वर्ष 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने किया, बाबजूद इसके उनके परिवार के किसी भी सदस्य को इस विषय में सूचित तक नहीं किया गया। (एचडीएम)

बेटे ने पिता के हक को पीएम से लगाई गुहार

शहीद मेजर दुर्गामल्ल के बेटे रिटायर्ड आर्मी जवान सुनील कुमार ठाकुर अपने पिता के सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए आज भी गौरवान्वित महसूस करते हैं, लेकिन उनकी व उनके परिवार की आंखें तब नम होती है, जब सरकार की ओर से ताम्र पत्र का प्रपत्र तो उन्हें मिला, लेकिन कोई मान-सम्मान नहीं मिल पाया। उनके परिवार के सदस्य सरकार, नेताओं व अन्य विभागों के भी चक्कर काट चुके हैं। लेकिन अब तक कोई मान सम्मान नहीं मिल पाया। सुनील कुमार ठाकुर ने इस पर आक्रोश जताते हुए पीएम नरेंद्र मोदी से उचित कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई है।

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