News portals-सबकी खबर (पांवटा साहिब )
प्रदेश सरकार गरीब परिवारों को उभारने के लिए कई विकासात्मक योजनाएं चला रही है, नेताओं के वादे ऐसे है मानो समूचे क्षेत्र को आर्थिक स्तिथि से पूर्ण मजबूत कर दिया हो, लेकिन गिरिपार क्षेत्र की दुर्गम पंचायत सखोली सभी दावों की पोल खोलती नजर आ रही है, यहाँ विकास केवल अमीर व बाहुबली परिवारों का हो रहा है, गरीब परिवार अधिक गरीब होता जा रहा है। सखोली पंचायत में मामला बीपील परिवारों से जुड़ा है, पंचायत के अंदर अमीर व बाहुबली लोगो के लिए बीपील का कोटा रखा गया है, गरीबो के लिए यहां कुछ भी नही है, जिस पक्ष का पंचायत प्रधान बना, उसी पक्ष के रसूखदार परिवार बीपीएल श्रेणी के हकदार होते है, और गरीबो की चीख पुकार सुनने वाले न नेता, न सरकार, पंचायत की तो बात करना ही मुनासिब नही होगा। गरीब रोटी के लिए झुग्गी, झोपड़ियों में कड़ी मुश्किलों का सामना करके जीवन यापन कर रहे है, पेश है एक रिपोर्ट।
विकास खण्ड पावटा की ग्रामं पंचायत ऐसी पंचायत है जहाँ विकास व गरीबो की आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए आजादी के बाद से 75 वर्ष बीत गए है, और 75 वर्ष, और लगने की सम्भावने है, सरकार ने समूचे प्रदेश में गरीब परिवारों को सहायता प्रदान करने के लिए बीपील, आईआरडीपी, मुख्यमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी दर्जनों योजनाएं चलाई है, लेकिन मौका पर हालात विपरीत नजर आ रहे है।
सखोली पंचायत के लोगो को इन योजनाओं का पता ही नही है, सरकार ने गरीबो की सहायता के लिए ऐसी कई स्किमें चलाई है, असहाय लोगो को इसका पता ही नही है। अलबत्ता भर्ष्ट तंत्र में लिप्त प्रदेश सरकार के कागजी खेल व नेताओं के विकासात्मक दावे यहाँ खोखले नजर आ रहे है।
आश्चर्य इस बात का है कि ऐसा एक पंचायत में नही है बल्कि पावटा साहिब व विकास खण्ड शिलाई की लगभग सभी पंचायतों में यही खेल चल रहा है, यहां केवल उन्हें बीपील, मुख्यमंत्री आवास, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित आईआरडीपी में रखा जाता है जो पंचायत प्रधान का करीबी हो, या बाहुबली हो, इनके अतिरिक्त क्षेत्रीय नेताओं की बात पंचायत प्रधान सहित प्रसाशनिक अधिकारियों पर हमेशा भारी रहती है, स्थानीय नेताओं के लोगो को यहां प्राथमिकता दी जाती रही है, और गरीब, असहाय, पीड़ित परिवारों को ठोकरे व धुतक्कार के अलावा कुछ नही मिल रहा है,
क्षेत्र में जो अधिकारी पहुंचा वह नेताओं के आदेशों से बाहर एक कदम भी कार्य करता नजर नही आता है, अधिक्तर अधिकारी तो ऐसे आते है जिन्हें केवल क्षेत्र की हसीन वादियों के मजे लेने है यदि इन्हें कार्य करने को कहे तो इनके पास एक ही जबाब होता है कि आपके स्थानीय नेता कार्य नही करने देते इसलिए जितने दिन यहाँ बीत जाए, वही अच्छे है। ऐसे में सरकार की योजनाएं कैसे गरीबो तक पहुंचेगी यह विचारणीय बात है |
Recent Comments