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प्रदेश में शिक्षा के बड़े-बड़े दावे करने वाले शिक्षा विभाग की पोल एक बार फिर से खुल गई है। राज्य के कई ऐसे डिग्री कालेज जो कि 1948 और 1960 में बने हैं, लेकिन अभी भी इन कालेजों के भवन तैयार नहीं हुए है। इस वजह से बिना इन्फ्रास्ट्रक्चर से पढ़ाई कर रहे छात्रों की शिक्षा कितनी प्रभावित हो रही होगी, इसका अंदाजा आप लगा सकते है। बता दें कि प्रदेश के 62 ऐसे कालेज है, जिनकी बिल्ंडग ही तैयार नहीं हुई है। किराए के भवनों में यूजी छात्रों की कक्षाएं लग रही है। जिससे कि शिक्षा के बेहतर दावों की पोल भी खुल रही है। अब सरकार के आदेशों पर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है। शिक्षा विभाग ने अब सभी पुराने कालेजों की फाइलों को खोला है।
वहीं प्रिंसीपल से रिपोर्ट तलब की जा रही है कि आखिर अभी तक कालेजों में छात्रों की संख्या के आधार पर भवन क्यों तैयार नहीं किए गए। हैरानी इस बात की है कि चंबा का सलूणी, बलेई, आरकेएमवी, धर्मशाला कई ऐसे कालेज है, जो कई वर्षों पुराने हैं। यहां पर छात्रों की संख्या भी छह हजार से ज्यादा है। छात्रों की ज्यादा संख्या होने की वजह से यहां क्लासरूम भी कम पढऩे लगे है। यह सब खुलासा शिक्षा विभाग की उन फाइलों में हो रहा है, जो कि कालेजों से आई है। अब कालेज भवन निर्माण पर जांच होगी। शिक्षा विभाग ने सभी कालेज प्रिंसीपल को इस बाबत निर्देश जारी कर दिए है। वहीं कहा है कि जिन कालेजों में भवन निर्माण का कार्य चला हुआ है, वहां पर सभी प्रिंसीपल अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित करे। (एचडीएम)
बजट पर होगी जांच
बता दें कि कालेजों को बिल्डिंग बनाने के लिए दिया गया बजट कहा गया। अभी तक उस बजट का खर्च क्यों नहीं हुआ। इस पर भी अब जांच की जाएगी। सूत्रों की मानें तो कालेजों को बजट दे दिया था, बावजूद इसके इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं किए गए।
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