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गिरिपार क्षेत्र के लोगो को 23 दिनों के लंबे इंतजार के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर वाहनों को चलने की सुविधाएं मिल गई है, देरशाम राजमार्ग को आवाजाही सहित वाहनों के लिए बहाल किया गया है।
जानकारी के मुताबिक 30 जुलाई को भारी बारिश के चलते भुस्खलन होने से पहाड़ी का लगभग 150 मीटर से अधिक जमीन का हिस्सा टूट गया था, जिसके बाद जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम के साथ एनएचएआई व हिमाचल प्रदेश की प्रशासनिक टीम ने मौका का निरीक्षण करके जल्द राष्ट्रीय राजमार्ग 707 को खोलने के लिए कवायत शुरू की थी, इस बीच कई अड़चने आई, कभी स्थानीय लोगो ने धरना प्रदर्शन करके सड़क मार्ग बहाल करने की मांग रखी, तो कई ग्रामीण भुस्खलन से हुए नुकसान का मुआवजा लेने को लेकर सड़कों पर उतरे है, बावजूद उसके 23 दिनों में सरकार ने सड़क को बहाल कर दिया है।
बता दे की पहाड़ी टूटने का कारण क्षेत्र में वेतरतीव माइनिंग बताया गया है, निरीक्षण टीम ने भी वेतरतीव माइनिंग को भुस्खलन होने का जिम्मेदार ठहराया है, ऐसे में सवाल यह सामने आता है कि करोड़ो रूपये मार्ग खोलने के लिए मौका पर लग रहे है, और लाखों रूपये मुआवजे के तौर पर क्षेत्रीय लोगो को देने होंगे, इसमे करोड़ो रूपये जो सरकार का नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कैसे की जाएगी, क्या यहां सरकार व सरकार के अधिकारी आम जनता से यह राशि पूरा करते है, या वेतरतीव माइनिंग से अरबों कमाने वालों से वसूल करेगी, इसको लेकर सरकार की जांच जारी है। उपमंडलाधिकारी पावटा साहिब विवेक महाजन ने राष्ट्रीय राजमार्ग 707 को वाहनों के लिए बहाल करने की पुष्टि की है।
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