News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)
हिमाचल के पहले मुख्यमन्त्री डॉ यशवंत परमार का विधानसभा क्षेत्र रहे रेणुकाजी मे 2022 के चुनाव मे किसी भी दल की राह आसान नही समझी जा रही है। कांग्रेस का गढ़ कहलाने वाले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस निर्वाचन क्षेत्र मे पिछले लोकसभा व पंचायत चुनाव मे भाजपा को अप्रत्याशित जीत मिलने, इस बार बीडीसी संगड़ाह के अध्यक्ष पद पर भाजपा का कब्जा होने के तथा भाजपा समर्थित सिरमौर जिला परिषद अध्यक्ष सीमा कन्याल का भी संगड़ाह वार्ड से होना कांग्रेस की जीत की राह मे बड़ी अड़चन समझा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार हाल ही मे संगड़ाह में हुए भाजपा के त्रिदेव सम्मेलन तथा विधायक के आवास पर खेगुआ मे हुई कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक मे दोनो दल आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीती पर चर्चा कर चुके हैं। रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास देखें तो क्षेत्र से 1951 में जहां निर्दलीय उम्मीदवार धर्म सिंह विधायक चुने गए, वहीं इसके बाद हिमाचल निर्माता व पहले मुख्यमन्त्री डॉ परमार लगातार 1957, 1963 व 1972 में कांग्रेस के विधायक चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के रूप सिंह चौहान विधायक बने जो सरकार बदलने अथवा गिरने के बाद हिमाचल के राजस्व मंत्री भी रहे। तब से आज तक न तो यहां से कोई मंत्री बना और न ही यह क्षेत्र एनएच अथवा राज्य उच्च मार्ग से जोड़ा गया।
पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा जहां आस्थास्थल रेणुकाजी को उपमंडल संगड़ाह अथवा रेणुका तहसील से अलग कर नाहन उपमंडल मे शामिल किया गया, वहीं वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा संगड़ाह मे सिविल अथवा ज्युडीशियल कोर्ट जैसी मांगों की अनदेखी की गई। वर्ष 1982 में विधानसभा क्षेत्र अनुसूचीत जाती के लिए आरक्षित होने पर 1982 तथा 1985 में वर्तमान विधायक के पिता डॉ प्रेम सिंह कांग्रेस के टिकट से विधायक चुने गए। वर्ष 1990 में जनता दल के प्रत्याशी रूप सिंह प्रेम सिंह को हराकर विधायक बने जो कुछ समय कांग्रेस मे रहने के बाद वर्तमान मे भाजपा अनुसूचित जाति मौर्चा सिरमौर के जिला अध्यक्ष है। वर्ष 1993, 1998, 2003 व 2007 मे कांग्रेस के डॉ प्रेम सिंह पुनः विधायक चुने गए, जो 2005 में मुख्य संसदीय सचिव भी रहे। उनके आकस्मिक निधन के बाद 2011 के उपचुनाव मे भाजपा के हृदय राम चौहान विधायक बने, जिन्हे 2017 के चुनाव मे पार्टी विरोधी गतिविधियों अथवा बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए पार्टी से बाहर किए जाने के बाद गत लोकसभा चुनाव के दौरान फिर से पार्टी मे शामिल किया गया।
वर्ष 2012 में 2011 का उपचुनाव हारने वाले विनय कुमार विधायक चुने गए जो लोक निर्माण विभाग के मुख्य संसदीय सचिव रहे तथा 2017 में दोबारा कांग्रेस विधायक बने। गौरतलब है कि, इन दिनो इस विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक हलचल तेज हो रही है तथा भाजपा द्वारा नया चेहरा उतारे जाने के भी चर्चे हैं। सूत्रों के अनुसार से एलआईसी एडीएम के पद से सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति मे उतरे नारायण सिंह व दिल्ली विश्वविद्यालय मे नौकरी कर रहे प्रो बलदेव चौहान आगामी चुनाव मे भाजपा के नए चहरे हो सकते हैं, जबकि पूर्व प्रत्याशी बलवीर चौहान के अलावा पूर्व विधायक रूप सिंह व हृदय राम भी टिकट के दावेदार बताए जा रहे हैं। इनके अलावा रीना चौहान व विजय आजाद तथा तीन अन्य अनुसूचित जाति के भाजपाई भी दूसरी लाईन मे बताए जा रहे हैं, जबकि वर्तमान विधायक विनय कुमार के खिलाफ कांग्रेस के टिकट की दावेदारी करने वाले सेवानिवृत्त एचएएस अधिकारी सहीराम आर्य काफी अरसे से सियासी नैपथ्य मे है। क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपा नेताओं के अनुसार टिकट का फैसला हाई कमान अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी चुनाव की घोषणा के बाद करेगा तथा अनुशासनहीनता करने वालों पर इस बार भी 2017 के चुनाव की तरह कड़ी कार्यवाही होगी। मंडल अध्यक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि, प्रदेश व केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं तथा क्षेत्र मे हो रहे विकास कार्यों की बदौलत हर कोई भाजपा से जुड़ना चाहता है तथा समय आने पर आला कमान द्वारा देख परख कर जिताऊ उम्मीदवार को प्रत्याशी घोषित किया जाएगा।
Recent Comments