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राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर शांता कुमार ने हिंदी भाषा को प्राथमिकता देने पर बल दिया। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री-केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता शांता कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि उन्हें नेता की बरादरी से होने पर बहुत अधिक पीड़ा होती है, और ये देश का दुर्भाग्य है। उन्होंने कहा कि बोर्ड में राष्ट्रीय नीति पर मंथन करने के लिए व पूर्व मुख्यमंत्री या नेता के रूप में नहीं अपितु एक अध्यापक के रूप में ही आए हैं, शिक्षक वर्ग से आने पर खुशी होती है। ऐसे में शांता कुमार ने मौजूदा राजनीति हालातों पर एक बार फिर से जोरदार कटाक्ष किया है।
शांता कुमार ने कहा कि भारत में आज सबकुछ है, लेकिन मनुष्य नहीं है। विवेकानंद ने कहा था कि राष्ट्र निर्माण के लिए राष्ट्र भक्त मनुष्य की जरूरत है। आज एक सौ वर्षों बाद फिर से यही बात दोहराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के हित के बारे में सोचने की बजाय आज के नेता व लोग खुद के लिए चांदी के कटोरे के पीछे भाग रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने हिमाचल में फर्जी डिग्री मामले पर हैरत जताई कि अब तक मामले में उचित कार्रवाई नहीं हो पाई है, जल्द से जल्द इस मामले में उचित कार्रवाई करें। साथ ही सीबीआई व पुलिस को भी मामले में अपनी जांच को तेज़ करना चाहिए।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बात करते हुए कहा कि आज भी हर गली-चौराहे में अंग्रेंजी ही भाषा दिखाई देती है, आज भी हम गुलामी का जीवन जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भाषा हिंदी को सरकारों को सही अर्थों में लागू करना चाहिए। वहीं उन्होंने हिमाचली भाषा को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि इस पर भी गंभीर होकर मंथन करने की जरूरत है। हिमाचल को बोलियों से बाहर निकलकर अब अपनी भाषा पर फोक्स करना चाहिए। उन्होंने केंद्रीय विवि धर्मशाला पर बोलते हुए कहा कि अफसोस है कि 12 वर्षों से सीयू लटक रही है, अब इसे जल्द स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी संस्कार विहीन हो गई, विवेक के बिना विज्ञान विनाश बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान संकट के बाद नशे का ओर अधिक प्रकोप बढ़ जाएगा। नशे के खिलाफ भी पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है, लेकिन बड़े स्तर पर समाज सुधार पर शिक्षकों व शिक्षा को काम करना होगा।
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