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November 23, 2024

आयुर्वेदीक स्वास्थ्य केंद्र पनोग के द्वारा 14 आशा वर्कर को मधुमेह रोग के उपचार हेतु दिया लघु प्रशिक्षण ।

News portals-सबकी खबर(शिलाई)

राजकीय आयुर्वेदीक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी राजेश ठाकुर द्वारा ग्राम डाहर, जरवा जुनेली ,पनोग, कीनू, पाब ,अजरोल, बिन्दोली, जस्वि, कोटि बोंच, लानी बोराड़ क्षेत्र की कुल 14 आशा वर्कर को आयुष विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा चलाये गए कार्यक्रम में स्वास्थ्य वर्धक जीवन शेली व मधुमेह निरोधक उपायों के प्रचार प्रसार हेतु प्रशिक्षण दिया गया तथा सर्वे किट भी उपलव्ध करवाई जिसमे की प्रत्येक आशा सर्वे के दौरान अपने अपने गाँव मधुमेह के मरीजो को ढूंढेगी तथा प्रशिक्षण में उन्हें आयुर्वेद के सिद्धांतो वात , पित, कफ की जानकारी के साथ साथ गलत जीवन शेली से, गलत खान पान से होने वाली बीमारियों खासकर मधुमेह के बारे में बताया की आजकल के इस भागदौड़ भरे युग में अनियमित जीवनशैली के चलते जो बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है वह है मधुमेह। मधुमेह को धीमी मौत भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं। इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह है कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है। मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है। पहले यह बीमारी चालीस की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन आजकल बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का एक बड़ा कारण हो गया है।


प्रशिक्षण के दौरान राजेश ठाकुर ने बताया की जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है। इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित जीवनशैली की वजह से होने वाले मधुमेह को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है। पहली श्रेणी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, नींद पूरी नहीं लेते, अनियमित खानपान है और ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।


आशाओं को जानकारी दी गयी की डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा मौत हार्ट अटैक या स्ट्रोक से होती है। जो व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त होते हैं उनमें हार्ट अटैक का खतरा आम व्यक्ति से पचास गुना ज्यादा बढ़ जाता है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने से हार्मोनल बदलाव होता है और कोशिशएं क्षतिग्रस्त होती हैं जिससे खून की नलिकाएं और नसें दोनों प्रभावित होती हैं। इससे धमनी में रुकावट आ सकती है या हार्ट अटैक हो सकता है। स्ट्रोक का खतरा भी मधुमेह रोगी को बढ़ जाता है। डायबिटीज का लंबे समय तक इलाज न करने पर यह आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा भी हो सकता है।

उन्होंने कहा की अगर किस आदमी को ये लक्षण दिखे तो जल्द से जल्द अपने निकटम आयुर्वेदीक स्वास्थ्य केन्द्र में अपने शुगर की जांच करवा ले जैसे:-
-ज्यादा प्यास लगना,बार-बार पेशाब का आना,आँखों की रौशनी कम होना, कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना,हाथों, पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म,बार-बर फोड़े-फुंसियां निकलना, चक्कर आना,चिड़चिड़ापन

उपायों की जानकारी के दौरान उन्होंने कहा की अपने ग्लूकोज स्तर को जांचें और भोजन से पहले यह 100 और भोजन के बाद 125 से ज्यादा है तो सतर्क हो जाएं। हर तीन महीने पर HbA1c टेस्ट कराते रहें ताकि आपके शरीर में शुगर के वास्तविक स्तर का पता चलता रहे। उसी के अनुरूप आप डॉक्टर से परामर्श कर दवाइयां लें।अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और शारीरिक श्रम करना शुरू करें। जिम नहीं जाना चाहते हैं तो दिन में तीन से चार किलोमीटर तक जरूर पैदल चलें या फिर योग करें।कम कैलोरी वाला भोजन खाएं। भोजन में मीठे को बिलकुल खत्म कर दें। सब्जियां, ताज़े फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने भोजन में शामिल कीजिये। इसके अलावा फाइबर का भी सेवन करना चाहिए। दिन में तीन समय खाने की बजाय उतने ही खाने को छह या सात बार में खाएं।  धूम्रपान और शराब का सेवन कम कर दें या संभव हो तो बिलकुल छोड़ दें।


आफिस के काम की ज्यादा टेंशन नहीं रखें और रात को पर्याप्त नींद लें। कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं है। तनाव को कम करने के लिए आप ध्यान लगाएं या संगीत आदि सुनें। नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराते रहें और शुगर लेवल को रोजाना मॉनीटर करें ताकि वह कभी भी लेवल से ज्यादा नहीं हो। एक बार शुगर बढ़ जाता है तो उसके लेवल को नीचे लाना काफी मुश्किल काम होता है और इस दौरान बढ़ा हुआ शुगर स्तर शरीर के अंगों पर अपना बुरा प्रभाव छोड़ता रहता है।
गेहूं और जौ 2-2 किलो की मात्रा में लेकर एक किलो चने के साथ पिसवा लें। इस आटे की बनी चपातियां ही भोजन में खाएं। मधुमेह रोगियों को अपने भोजन में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, बंद गोभी और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए।फलों में जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपाती को शामिल करें। आम, केला, सेब, खजूर तथा अंगूर नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनमें शुगर ज्यादा होता है।
मेथी दाना रात को भिगो दें और सुबह प्रतिदिन खाली पेट उसे खाना चाहिए।
खाने में बादाम, लहसुन, प्याज, अंकुरित दालें, अंकुरित छिलके वाला चना, सत्तू और बाजरा आदि शामिल करें तथा आलू, चावल और मक्खन का बहुत कम उपयोग करें

प्रशिक्षण के दौरान आशाओं को बताया गया की अगर किस मरीज में मधमेह के लक्षण दिखाई देते है तो निकटम आयुर्वेदीक स्वास्थ्य केन्द्र पनोग में भेजे जहां पर आयुवेर्दिक इलाज जिसमे अशगन्ध, गिलोय, एलो वेरा, नीम, गूगल,करेला आदि से निर्मित दवाईयों से तथा योगासन बता कर से आयुर्वेदीक विधि से मधुमेह का इलाज मुफ्त किया जाएगा।

इस मौके पर आशा वर्कर मीमो देवी, सोलो देवी, अनिता, लक्षमी, शीला, दया, विद्या, इंदिरा, सत्या, प्रोमिला, विनीता, शीला,मुन्ना देवी , नीलम कुमारी आदि उपस्थित रहे

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