News portals-सबकी खबर (नहान )
श्री साई ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स की अम्बाला कैंट शाखा में पिछले 15 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे श्री साई हॉस्पिटल में दो महीने पहले जन्मे प्री मैच्योर बेबी आज स्वस्थ हो कर स्पर्श हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुआ। श्री साई हॉस्पिटल की निदेशिका डॉ श्रद्धा बेदी ने जानकारी देते हुए बताया की दो महीने पहले ममता नाम की महिला ने 27 हफ़्तों में ही प्री मैच्योर बेबी को जन्म दिया। जन्म के वक़्त नवजात का वजन मात्र 900 ग्राम था। बच्चे की हालत बेहद गंभीर थी। नवजात को एक हफ्ते तक वेंटीलेटर पर रखा गया। उसके बाद स्पर्श हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ भव्या की देख रेख में नवजात को दो महीने तक रखा गया। जिसके बाद नवजात का वजन 900 ग्राम से बढ़ कर 1 किलो 800 ग्राम हुआ। आज स्वस्थ हो कर वह अपने परिवार में लौट गया।
श्री साई हॉस्पिटल की निदेशिका डॉ श्रद्धा बेदी ने बताया की प्रेग्नेंसी के 36 से 37वें हफ्ते में पैदा हुआ बच्चा फुल टर्म बेबी से थोड़ा छोटा होता है। लेकिन अगर बच्चा 27 वें हफ्ते में पैदा हुआ है, तो उसका साइज काफी छोटा होगा। ये शिशु बहुत नाजुक होते हैं और इनकी स्किन काफी पतली होती है। इसी प्रकार यह नवजात शिशु भी बेहद कमजोर था। इस केस में स्पर्श हॉस्पिटल एवं श्री साई हॉस्पिटल ने मिल कर माँ और बच्चे के स्वस्थ होने का बीड़ा उठाया और सफलता भी हासिल की। उन्होंने ने बताया की आधुनिक मेडिकल साइंस के कारण अब हम प्री मैच्योर बेबी को बचा पाने में ज्यादा सक्षम हो पाएं है। आप माता पिता को प्री मैच्योर बेबी होने पर घबराना नहीं चाहिए । बेबी को स्वस्थ करने के लिए बहुत सी तकनीकें उपलब्ध हैं ।
उन्होंने बताया की श्री साई हॉस्पिटल पिछले 15 वर्षों से माँ बन रही महिलाओ के स्वास्थ्य के लिए तत्पर कार्य कर रहा है। हमारे यहाँ नार्मल डिलीवरी , सिजेरियन डिलीवरी, दर्द रहित डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही स्त्री रोग , बांझपन के इलाज में भी हमारे यहाँ बेहतरीन परिणाम देखने को मिल रहे हैं ।
स्पर्श हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ भव्या ने बताया की इस केस में बेबी को दो महीने के लिए नीकु में रखा गया। उसके विकास पर पूरा ध्यान दिया गया। आज बेबी 1 किलो 800 ग्राम का हो गया और वह एक स्वस्थ बच्चे के रूप में उनके परिवार को सौंपा गया।
बच्चे की माँ ममता ने डॉ श्रद्धा बेदी और डॉ भव्या का धन्यवाद करते हुए कहा की दोनों डॉक्टर्स इश्वर के रूप में मिले जिन्होंने ने मेरे बच्चे की जान बचाई । प्री मैच्योर होने पर पूरे परिवार में घबराहट का माहौल बन गया था लेकिन दो महीने के सही इलाज के बाद अब मेरा बच्चा पूर्णता स्वस्थ हो कर परिवार में आया है। हमारा पूरा परिवार डॉक्टर्स एवं हॉस्पिटल स्टाफ का हमेशा अभारी रहेगा।
Recent Comments