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हिमाचल प्रदेश जेबीटी बेरोजगार संघ के कुछ सदस्य द्वारा कुल्लू में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के जेबीटी बनाम b.ed केस पर आए फैसले पर नाराजगी व्यक्त की गई। जेबीटी महिला मोर्चा की अध्यक्षा पल्लवी ने कहा कि हमारा केस सन 2018 से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में विचाराधीन था। परंतु 3 सालों से तारीख पे तारीख मिलती रही परंतु 3 साल के बाद जब अंतिम फैसला आया तो,उन्हें निराशा हाथ में लगी। यह केस सन 2018 में एनसीटीई की एक अधिसूचना के आधार पर हुआ था जिसको कुछ समय पहले राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी रद्द कर दिया था। तथा वहां पर b.ed धारी को लेबल 1 से बाहर कर दिया था। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लगभग 40000 जेबीटी बेरोजगार है जो 15 -15 सालों से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं।
अभी तक उनको नौकरी नहीं मिली है। परंतु b.ed अभ्यार्थियों को जेबीटी के पद पर नियुक्ति देना सरासर 40000 जेबीटी के साथ अन्याय है। जिसका कि हिमाचल प्रदेश जेबीटी रोजगार संघ विरोध करता है। और सरकार से गुजारिश करता है कि वे माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले पर पुनः विचार करें तथा अपना पक्ष मजबूती के साथ रखकर एक उचित निर्णय ले ताकि लगभग 40000 जेबीटी बेरोजगारों का भविष्य खराब होने से बच सके और उनको न्याय मिल सके। हिमाचल प्रदेश में 28 प्राइवेट जेबीटी कॉलेज है तथा 12 डाइट है ,जो लगभग हर साल 5000 जेबीटी को प्रशिक्षण देती है। अतः जेबीटी बेरोजगार संघ सरकार से निवेदन करता है कि इस फैसले पर उचित कदम उठाए तथा b.ed की जगह जेबीटी की ही नियुक्ति हो। इसके लिए 40,000 बेरोजगार जेबीटी तथा उनका परिवार सदैव सरकार का हमेशा ऋणी रहेगा।
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