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टीबी उन्नमूलन के लिए चलाया गया अभियान सफल हो सके इसलिए आईजीएमसी में आने वाले मरीजों की विभाग द्वारा की जाएगी टीबी स्क्रीनिंग । कोरोना वैक्सीनेशन के बाद विभाग का टारगेट 2022 में प्रदेश को टीबी मुक्त बनाना है। इसी के दृष्टिगत एक्टिव केस फाईडिंग अभियान चलाया गया है और आईजीएमसी में आने वाले मरीजों के लक्षण दिखने पर स्क्रीनिंग होगी और जरूरत महसूस हुई तो उसका टेस्ट भी करवाया जाएगा। अस्पताल प्रशासन ने इस संदर्भ में सभी एचओडी को आदेश जारी कर दिए है।
अस्पताल में आने वाले मरीजों में दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी, दो हफ्ते तक बुखार आना, तेजी से शरीर का वजन घटना, रात में सोते वक्त पसीना आना आदि लक्षणों के बारे में स्क्रीनिंग होगी। यदि व्यक्ति टीबी से संक्रमित पाया जाएगा, तो उसे अन्य बीमारियों के साथ-साथ टीबी की दवाएं भी दी जाएगी। ऐसे लोगों का एक डाटा भी आईजीएमसी अपने पास रखेगा, ताकि यह पता रहे कि रोजाना कितने मरीज संक्रमित हो रहे है। टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है.सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरोंमें इसका नि:शुल्क उपचार होता है।
नहीं छूटना चाहिए बीच में उपचार टीबी का इलाज पूरी तरह ठीक होने तक चलना चाहिए और इसे बीच में छोड़ देने से बैक्टीरिया में दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. अगर 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी है तो डाक्टर को दिखाएं. वहीं, दवा का कोर्स भी जरूर पूरा करे। आईजीएमसी के प्रशासकीय अधिकारी एवं डिप्टी एमएस डा.राहुल गुप्ता ने बताया कि आईजीएमसी में दाखिल होने वाले मरीजों में टीबी लक्षणों की जांच के लिए स्क्रीनिंग होगी।
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