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हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग संस्थानों से एएनएम का कोर्स पूरा कर चुकी 6000 प्रशिक्षु महिलाओं ने राज्य सरकार से जेबीटी की तर्ज पर राहत मांगी है। उन्होंने फीमेल हैल्थ वर्कर के पदों पर बीएससी, एमएससी और जीएनएम को भी पात्र मानने का विरोध करते हुए इन पदों पर सिर्फ एएनएम को ही लेने का आग्रह किया है। प्रदेश की करीब छह हजार ट्रेंड एएनएम ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोर्ट में बात रखने का आग्रह सरकार से किया है। इस मांग को लेकर प्रशिक्षित एएनएम यानी फीमेल वर्कर ने शुक्रवार को ओक ओवर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हाल ही में कोर्ट के फैसले के बाद अब एएनएम पदों पर बीएससी, एमएससी और जीएनएम को पात्र माना गया है। इस कारण एएनएम के पदों पर जो भर्तियां निकलती है उसमें हायर डिग्री को भी पात्र माना गया है।
एएनएम सुदर्शना, प्रियंका, आशा, विनय, कमलेश और नीलम ने कहा कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि वे आगे के लिए रूल बनाएंगे, लेकिन वे अभी आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि पोस्ट बेसिक नर्सिंग और जीएनएम को एएनएम पदों से बाहर किया जाए। और दो साल के एएनएम कोर्स के लिए केवल एएनएम को ही तरजीह दी जाए। गौर रहे कि प्रदेश के दस सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में दो साल का एएनएम को कोर्स करवाया जाता है। हर साल कोर्स करने वाले छात्रों की लगातार संख्या बढ़ रही है। इन प्रशिक्षित एएनएम की विभिन्न पोस्टों पर बैचवाइज और कमीशन से भर्तियां की जाए। उन्होंने मांग की कि जिस तरह से जेबीटी के पदों पर केवल जेबीटी को ही पात्र मानने की घोषणा की गई है तो इसी तर्ज पर एएनएम के लिए सरकार अपना पक्ष दें।
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