News portals-सबकी खबर (मंडी)
स्वरोजगार अपनाकर भी तरक्की की जा सकती है।यह बात सुंदरनगर के सिविल इंजीनियर आशीष कुमार ने साबित कर दिया है । 32 साल के युवा ने काजू की प्रोसेसिंग-पैकेजिंग में स्वरोजगार पाया और दूसरों लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। आशीष महीने में करीब एक लाख रुपये कमा रहे हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद आशीष ने नौकरी नहीं, स्वरोजगार को अपनाने की ठानी। सेहत और दिमाग के लिए रामबाण काजू के व्यवसाय में इंजीनियर वाला दिमाग लगाया।आशीष ने बताया कि मार्च 2020 में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में उनके प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिली थी। कोविड-19 के चलते काम शुरू करने में 6-8 महीने निकल गए। नवंबर 2020 से आरडा कैश्यू हाउस नाम से अपनी यूनिट शुरू की।
बैंक से 27 लाख रुपये का केस बनाया। सरकार ने 5.11 लाख रुपये की सब्सिडी दी। काजू के साइज और ग्रेडिंग के लिए सूरत (गुजरात) से मशीनरी लाई। गांव की 7 महिलाएं प्लांट में नियमित काम कर रही हैं।इसके अलावा गांव की 20 से ज्यादा महिलाओं को समय-समय पर काजू की छंटाई के काम दिया जाता है। यह महिलाएं छंटाई के लिए काजू अपने घर ले जाती हैं। इसके लिए उन्हें 25 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से भुगतान किया जाता है उन्होंने बताया कि सारा खर्च निकालकर हर महीने से एक लाख रुपये कमा रहे हैं। रोजाना प्रोसेस हो 100 किलो काजू आशीष चार महीने देश के अलग-अलग राज्यों से कच्चा काजू मंगवाते हैं। बाकी 8 महीने अफ्रीका से काजू मंगवाया जाता है।
प्लांट में प्रोसेसिंग और पैकेजिंग करवाते हैं। इस काजू की मंडी के साथ-साथ हमीरपुर और कुल्लू में भी सप्लाई हो रही है। यह 600 से लेकर 1600 रुपये तक प्रतिकिलो के हिसाब से बिकता है। रोजाना करीब 100 किलो काजू प्रोसेस होता है। इसके बाद पैकिंग की जाती है। आशीष युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना युवाओं को स्वरोजगार के अवसर दे रही है। प्रशासन का प्रयास है कि अधिक से अधिक युवाओं को इसमें लाभ दिया जाए।
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