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ओपन वाई-फाई नेटवर्क को लेकर साइबर सैल शिमला ने भी एडवाइजरी जारी की है। फ्री वाई-फाई से न करें वित्तीय ट्रांजेक्शन साइबर सैल शिमला के एएसपी नरवीर राठौर का कहना है कि किसी भी तरह की वित्तीय ट्रांजेक्शन करने में फ्री ओपन वाई-फाई नेटवर्क का प्रयोग न करें। इस प्रकार से साइबर क्रिमिनल सैकड़ों की तादाद में विभिन्न डिवाइस पर बोट भेजते हैं, जिसका प्रयोग किसी भी वेबसाइट की बैंडविथ फुल कर उस वेबसाइट को स्लो डाउन करने में किया जाता है| फ्री वाई-फाई के चक्कर में आपका पर्सनल डाटा लीक हो सकता है। फ्री ओपन वाईफाई नेटवर्क का खामियाजा आपको अपनी मेहनत की कमाई को या पर्सनल डाटा को गंवाकर चुकाना पड़ता है। बड़े शहरों में फाइबर कनेक्टिविटी अच्छी होने के चलते इंटरनेट की स्पीड में पहले की तुलना में काफी इजाफा हुआ है, जिसके चलते ओपन वाई-फाई नेटवर्क की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है,
जिससे यूजर अपनी डिवाइस को कनेक्ट कर काफी तेज इंटरनेट कनेक्टिविटी प्राप्त कर सकता है। ऐसे में साइबर क्रिमिनल्स विभिन्न शहरों के पॉश एरिया में जाकर फ्री ओपन वाई-फाई नेटवर्क यूजर को उपलब्ध करवाते हैं और जैसे ही यूजर अपनी डिवाइस को उस ओपन नेटवर्क से कनेक्ट करता है, वैसे ही उसका तमाम पर्सनल डाटा साइबर क्रिमिनल के पास अपने आप पहुंचने लगता है, जिसका साइबर क्रिमिनल किसी भी तरीके से गलत इस्तेमाल कर सकता है।आज के दौर में मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप, कम्प्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट इस्तेमाल करने वाला यूजर पूरी तरह से इंटरनेट कनेक्टिविटी पर निर्भर करता है।
चाहे ऑफिस का काम हो, स्टूडेंट की पढ़ाई या अन्य इंटरनेट सर्फिंग, उन्होंने बताया कि साइबर क्रिमिनल्स यूजर को फ्री ओपन वाई-फाई नेटवर्क उपलब्ध करवाने के बाद यूजर की डिवाइस को पूरी तरह से अपने हाथ का खिलौना बना लेते हैं। इसके बाद साइबर क्रिमिनल यूजर की डिवाइस में कीलॉगर के जरिए पैकेट कैपचरिंग करता है, जिसके जरिए यूजर के विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट, इंटरनेट बैंकिंग व अन्य महत्त्वपूर्ण सेवाओं से जुड़ी हुई यूजर आईडी और पासवर्ड को चुरा लिया जाता है।
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