News portals-सबकी खबर (धर्मशाला)
देश भर में अनेक शोधों में आश्चर्यजनक तथ्य निकलकर सामने आए हैं, जिनसे देश के मेडिकल सिस्टम को दोबारा जमीनी स्तर पर कसरत करने के लिए मजबूर कर दिया है। मेडिकल रिसर्च में सामने आया है कि देश भर में जिन बच्चों में क्षय रोग (टीबी) पाया जाता है, उनमें से 60 फीसदी बच्चों का टीबी पकड़ में ही नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं, देश भर के बच्चों में शुरुआती दौर में टीबी के नाममात्र लक्षण होने के कारण चाइल्ड रोग विशेषज्ञ व अन्य डाक्टरों की पकड़ में ही नहीं आ रहे हैं।
ऐसे में डाक्टरों से संक्रामक रोग के बच्चे छूट रहे हैं, जो कि आगामी समय में भी टीबी रोग के वाहक बने रहेंगे,जबकि देश भर में 2024 तक नेशनल टीबी एलिमिनेशन प्रोग्राम के तहत पूरी तरह से क्षय रोग को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है इसी कड़ी में हिमाचल में छह विशेष वर्कशाप आयोजित की जा रही है।जिला कांगड़ा के निजी और सरकारी डाक्टरों के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ सीएमओ कांगड़ा डा. गुरदर्शन गुप्ता ने किया।
जिला नियंत्रक अधिकारी डा. आरके सूद, अमृतसर जीएमसी से डा. मनमीत सोढ्ढी, जालंधर से डा. जितेंद्र सिंह, टांडा से डा. सीमा शर्मा व डा. गुरदीप काजल, जो कि दिल्ली में ट्रेंनिग करके आए हैं| हिमाचल एकेडमी ऑफ पडरोटिक्स के जनरल सेक्रेटरी डा. नवेंदु चौधरी ने बताया कि रिसर्च में सामने आया है कि 60 फीसदी बच्चों में टीबी रोग का पता ही नहीं लग पा रहा है। इसे देखते हुए ही अब पैड्रायोटिक्स विशेेषज्ञों को भी जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है।
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