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हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मंगलवार सुबह करीब 11 बजकर सात मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.3 रही। भकूंप का केंद्र कुल्लू में जमीन के अंदर 10 किलोमीटर गहराई पर था। हालांकि भूकंप से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है। भूकंप के झटके महसूस होने के बाद कई लोग अपने घरों से बाहर खुली जगह के लिए निकले। इससे पहले भी कुल्लू व अन्य जिलों में कम तीव्रता वाले भूकंप आते रहे हैं।
हिमाचल भूकंप की दृष्टि से संवेदनशीलहिमाचल जोन पांच यानी भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील वर्ग में आता है।
4 अप्रैल 1905 को हिमाचल में 7.8 तीव्रता वाला बड़ा भूकंप आ चुका है। इसके बाद हिमाचल में बड़े भूकंप अक्सर आते रहे हैं। 28 फरवरी 1906 को कुल्लू में 6.4 तीव्रता वाला भूकंप आया था। वर्ष 1930 में भी 6.10 तीव्रता वाला भूकंप आया था। इसके बाद वर्ष 1945 में 6 और 1975 में 6.8 तीव्रता वाला भूकंप आया था। प्रदेश के चंबा, कुल्लू, कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, मंडी, बिलासपुर सिस्मिक जोन पांच और लाहौल स्पीति, शिमला, सिरमौर, सोलन जोन चार में आते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार लोगों को बेतरतीब निर्माण के बजाय भूकंपरोधी घर ही बनाने चाहिए ताकि आपदा के समय उनकी जिंदगी बच सके।
हिमाचल सरकार को स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा मॉकड्रिल करवानी चाहिए। हर स्कूल के कमरे में एक बड़ा मजबूत टेबल होना चाहिए ताकि भूकंप के दौरान बच्चे उसके नीचे सुरक्षित बच सकें। 1905 के भूकंप में 20 हजार से ज्यादा गईं थी जानेंकांगड़ा में 4 अप्रैल, 1905 की अलसुबह आए 7.8 की तीव्रता वाले भूकंप में 20 हजार से ज्यादा इंसानी जानें चली गई थीं। भूकंप से एक लाख के करीब इमारतें तहस-नहस हो गई थीं, जबकि 53 हजार से ज्यादा मवेशी भी भूकंप की भेंट चढ़ गए थे।
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