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November 24, 2024

प्रदेश का दिल हिल्सक्वीन शिमला की अव्यवस्थित ढंग से हो रही सफाई

 News portals-सबकी खबर (शिमला)

प्रदेश की राजधानी शिमला जो स्वच्छता के मामले में कभी 37 अंकों की रैकिंग पर था अब वह अपनी रैकिंग खोकर 100 में भी जगह नहीं बना सकी | यह स्वच्छता सर्वेक्षण में 102वें पायदान पर पहुंच गई है। शिमला शहर स्वच्छता सर्वेक्षण में  पिछड़ गया है और आए दिन शहर में कूड़े के ढेर लोगों व पर्यटकों की परेशानी का सबब बने हुए है। प्रदेश का दिल व धड़कन और हिल्सक्वीन शिमला की अव्यवस्थित ढंग से हो रही सफाई व्यवस्था न केवल लोगों व पर्यटकों का मुंह चिढ़ा रही है, अपितु स्वच्छता सर्वेक्षण पायदान में खिसकने का भी कारण बनी है।

शिमला शहर में प्रतिदिन गीला व सूखा करीब 70 टन कूड़ा निकलता है और इसे उठाने के लिए शहर के 34 वार्डों में 34 छोटे वाहन यानि पिकअप लगाई गई है, जिससे कूड़ा उठाने के लिए कई-कई चक्कर लगाने पड़ते है और इस कूड़े को भरयाल स्थित प्लांट में पहुंचाया जाता है, जहां पर इसका निष्पादन किया जाता है। शिमला शहर में कूड़ा कचरा प्रबंधन के लिए भरयाल के अलावा अन्य कोई संयंत्र भी नहीं है, जहां पर इस कूड़े कचरे का निष्पादन किया जा सके। हालांकि नगर निगम ने 34 वार्डों के लिए 34 बड़े वाहन यानी टाटा-407 वाहनों की खरीद करने की योजना बनाई है

और इस काम को लोनिवि का मेकेनिकल विंग कर रहा है| जबकि कूड़े-कचरे के निष्पादन के लिए कंपोस्टिंग प्लांट और आईजीएमसी के समीप, सब्जी मंडी व ढली में दोटे कूड़ा संयंत्र लगाने की योजना बनाई है, लेकिन अभी तक यह योजना सिरे नहीं चढ़ सकी है।रितिका शर्मा का कहना है कि शहर में सुबह ही कूड़े कचरे का सही ढंग से प्रबंधन होना चाहिए, ताकि लोग जब अपने कामों के लिए निकले तो उससे पहले शहर पूरी तरह से साफ हो जाना चाहिए, शहर लोगों को सुंदर व आकर्षक लग सके, लेकिन शहर में कूड़े के ढेर लगे होते है, जो लोगों का मुंह चिढ़ा रहे होते है|

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