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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम के पुजारियों, सुरक्षाकर्मियों और सेवादारों के लिए 100 जोड़ी जूट के जूते हिमाचल प्रदेश से भिजवाए हैं। ताकि उन्हें सर्दी में नंगे पांव होकर सेवा नहीं करनी पडे़गी।बता दें कि देश भर के सभी मंदिरों में चमडे़ व रबड़ के जूते-चप्पल प्रतिबंधित हैं। ऐसे भव्य व विशाल मंदिरों में इस कारण पुजारियों, सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जूट के इन जूतों को स्थानीय भाषा में पूहलें कहा जाता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 दिसंबर को मंडी में हुई रैली में प्रदेश सरकार द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी के दौरान इन्हें देखा था।
इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ऐसे 100 जोड़ी पूहलें प्रधानमंत्री कार्यालय भिजवाई थीं, जो कि अब पीएमओ से काशी विश्वनाथ भी पहुंच गई हैं। सोमवार को मंदिर प्रबंधन द्वारा इन पूहलों का आबंटन पुजारियों, सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों को किया गया। विशेष बात यह है कि इन पूहलों का निर्माण देवभूमि कुल्लू में हुआ है। इन्हें बनाने के लिए भांग और ब्यूल के रेशों का प्रयोग किया गया है।काशी विश्वनाथ में भी पुजारियों, सेवादारों और सुरक्षा कर्मियों को पहले लकड़ी के खड़ाऊं दिए गए थे, मगर खड़ाऊं के कारण इन्हें कई दिक्कतें आ रही थीं।
खड़ाऊं पहन कर आठ घंटे ड्यूटी करना काफी मुशिकल भरा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनकी समस्या को समझते हुए देवभूमि हिमाचल प्रदेश से यह नायाब तोहफा भेजा है। वहीं सर्व देवता समिति मंडी के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा का कहना है कि मंडी-कुल्लू की बनी पूहलें जड़ी बूटियों से तैयार होती हैं और इन्हें पवित्र माना जाता है। इस कारण इन्हें पहनकर देव स्थल के अंदर व रसोईघर में जाने में कोई पाबंदी नहीं हैं। काशी विश्वनाथ के पुजारियों, सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों के लिए यह सबसे बेहतर हैं। उधर, डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग का कहना है कि 100 जोड़ी पूहलें भेजी गई हैं। इतनी ही और भेजने की तैयारी की जा रही है।
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