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November 23, 2024

शिलाई में 26 तारिक को होने वाले हाटी महासम्मेलन पर टिकी नेताओं की नजर, महासम्मेलन को सफल बनाने में हाटी समितियों के लिए है बड़ी चुनौती

News portals-सबकी खबर ( शिलाई) सुरेश ठाकुर

जिला  सिरमौर के विधानसभा क्षेत्र शिलाई मे निर्धारित आगामी 26 तारीख को होने वाले हाटी महा सम्मेलन पर सभी राजनैतिक नेताओं की नजरें टिकी है l ये महासम्मेलन करीब 3 लाख हाटी समुदाय के लोगो का भबिष्य  निर्धारण करेगा, साथ ही उन तमाम नेताओ के चुनाव को भी प्रभावित करेगा जो इस चुनावी साल मे अपनी दावेदारी करके हमेशा हाटी के नाम पर वोट बटोर कर बिधानसभा पहुंचते थे l

ये महा सम्मेलन इसलिए भी ख़ास माना जा रहा है कि यदि भारी संख्या मे लोग इसमें अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है तो आगे ये आंदोलन और तेजी पकड़ेगा लेकिन यदि ये  समेलन असफल रेहता है तो लोगो का मनोबल टूट जायगा और लोग बिखरने शुरू हो जाएंगे l यदि लोग बिखरना शुरू हो गए तो फिर लोगो को इकठा करना मुश्किल हो जायगा, अब देखना होगा कि हाटी महासम्मेलन नेताओं के लिये ये संजीवनी देता है या फिर मुश्किलें पैदा करता है ।

यदि राजनैतिक दृष्टि से अगर इस सम्मेलन को देखा जाये तो इसका असर शिलाई सहित जिले के अन्य 4 बिधानसभा को भी प्रभावित करेगा कियोकि इन सभी बिधानसभा क्षेत्र मे हाटी समुदाय के इतने वोट जरूर है जो किसी भी नेता को पटखनी दे सकते है l अब देखने वाली बात ये है की 26 तारीख को शिलाई मे होने वाले इस माह सम्मेलन मे कितनी भीड़ जुटती है l निर्धारित सम्मेलन उन तमाम हाटी समिति के पदाधिकारियों के लिये भी किसी चुनौती से कम नहीं जो फ्रंटफुट पर आकर बेटिंग कर सरकार या नेताओं से सीधी टक्कर ले रहे है l

सूत्रों की माने तो गिरिपार क्षेत्र के लोगों ने ठान लिया है कि हम अपने अधिकार को लेकर ही रेहगे, चाहे इसके लिये नेताओं से भी भिड़ना पढ़े l ये आंदोलन अब पहले की तरह शांतिपूर्ण नहीं दिख रहा है लोग ने दो टूक नेताओं और सरकार को साफ सन्देश दे चुके है l ऐसे मे नेताओं के लिये ये चुनावी साल इतना आसान नहीं दिख रहा है l

बता दे कि दो दिन पहले पावटा साहिब मे हुई बैठक मे जिसमे जिले स्तर के पदाधिकारियों सहित तहसील और खण्ड स्तर के अध्यक्षों ने भाग लिया और 26 तारीख के हाटी महासम्मेलन को सफल बनाने की रूप रेखा और रणनीति का खाका तैयार कर लिया है lयदि 26 तारीख को भारी संख्या मे लोग इकठा होकर एकमत से हाटी जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की सरकार और नेताओं को चुनौती देकर सड़को पर उतरने और चुनाव के बहिष्कार का सन्देश देते है तो नेताओं के लिये भबिष्य मे ये अच्छे संकेत नहीं है l लेकिन यदि सम्मेलन मे कम संख्या रहती है और एकता का सन्देश नहीं दे पाये तो राजनेताओं को ये किसी संजीवनी देने जैसा होगा l अब देखने वाली बात ये है की 26 तारीख को ये हाटी सम्मेलन कितना सफल होता है l

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