Newsportals-सबकी खबर (राजगढ़)
बारिश न होने के कारण इस वर्ष राजगढ़ वन मंडल के अधीन आने वाले जंगल धूं-धंू कर जले। वन विभाग के अनुसार इस वर्ष अब तक आगजनी के नौ मामले प्रकाश में आए हैं, जिसमें करीब 114 हेक्टेयर वन संपदा आग की भेंट चढ़ गई। बीते दिनों राजगढ़ के समीप सूरधार, पबियाना, शरगांव व राणाघाट इत्यादि क्षेत्रों में आगजनी के कारण अमूल्य वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचा है। अगर समय पर बारिश नहीं होती है, तो आगजनी के और अधिक मामले बढ़ सकते हैं।
हालांकि वन विभाग द्वारा स्थानीय लोगों की सहायता से आग पर काबू पा लिया था, जिससे विशेषकर वनों के साथ लगते गांव के रिहायशी मकान व गोशाला बचा ली गई। लिहाजा वन विभाग द्वारा वनों को आग से बचाने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। वन अधिकारियों के नेतृत्व में टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है। स्थानीय लोगों को शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त संवेदनशील क्षेत्रों में फायर वाचर तैनात किए गए हैं।
वन मंडल कार्यालय राजगढ़ कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि किसान अपने खेतों में आग लगाते हैं जोकि जंगल तक फैल जाती है। कई बार जंगल के साथ रहने वाले लोग जंगलों में चीड़ की पत्तियों को जलाने के लिए आग लगाते हैं। उनका कहना है कि ज्यादातर शरारती तत्त्व भी जंगल में जान-बूझकर आग लगाने का कार्य करते हैं, जिससे वन संपदा के अतिरिक्त वन्य प्राणी भी जल जाते हैं। उन्होंने बताया कि राजगढ़ वन मंडल में कुल 21414 हेक्टेयर वन क्षेत्र है जिसमें देवदार, बान, मोहरू के अलावा चीड़ के सबसे ज्यादा जंगल हैं, जिसके संरक्षण के लिए मंडल को चार परिक्षेत्र में बांटा गया है। वन मंडल कार्यालय राजगढ़ के अनुसार बीते वर्ष वनों में आगजनी के 33 मामले में 423 हेक्टेयर वन संपदा आगजनी की भेंट चढ़ गई थी। जिसमें 300 हेक्टेयर वन क्षेत्र तथा 123 हेक्टेयर भूमि में की गई नई प्लांटेशन को नुकसान पहुंचा है। जबकि वर्ष 2020-21 के दौरान समय-समय पर बारिश होने से पूरे सीजन में केवल छह मामले आगजनी के आए थे, जिसमें केवल 14 हेक्टेयर भूमि का नुकसान आंका गया था।
Recent Comments