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औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब के उद्योग हवा में जहर घोल रहे हैं। कालाअंब क्षेत्र में हवा का प्रदूषण सबसे अधिक आंका गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली की टीम ने तीन माह पूर्व औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब, बद्दी, परवाणू इत्यदि क्षेत्रों के हवा के सैंपल लिए थे। जिसमें सबसे अधिक प्रदूषित हवा का स्तर औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब का पाया गया था। जिसे एनजीटी द्वारा उद्योगों को सुधारने की कड़ी हिदायतें जारी की गई थी। बावजूद इसके उद्योगों से जहरीली हवाओं निकलने का सिलसिला जारी है। नजीतन कालाअंब क्षेत्र में बाशिदें व करींदे लगातार सांस की बीमारियों से पीडि़त हो रहे है। स्वास्थय जांच के दौरान कालाअंब क्षेत्र के लोग अस्थमा, फेफड़ों व सांस की बीमारियों से ग्रस्त पाए जा रहे हैं। प्रदूषण विभाग द्वारा समय -समय पर हवा के इंडेक्स का सैंपल जारी किया जाता है।
वहीं विभाग हवा के स्तर में प्रदूषण पाए जाने पर छोटे मोटे चालान कर खानापूर्ति कर देता है। नजीतन प्रदूषण क्षेत्र में कम होने का नाम नहीं ले रहा है। जानकार बतातें है कि कालाअंब में इस्पात, लोहे के बड़े- बड़े कारखाने सबसे अधिक हवा में जहर घोल रहे हैं। हालात यह है कि रात को भी क्षेत्र में धुंध की तरह की परत जमती रहती है। उधर , प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कालाअंब के अधिशासी अभियंता पवन शर्मा ने बताया कि प्रदुषण फैलाने वाले उद्वोगों की शिकायतें बोर्ड को प्राप्त हो रही है|उन्होने बताया कि समय समय पर हवा के सैंपल उद्वोगों के क्षेत्र से लेकर पांवटा साहिब स्थित लैब टेस्टिंग के लिए भेजे जा रहे हैं। वहीं तय मानकों पर खरे ना उतरने वाले उद्वोगों पर बोर्ड द्वारा चालान भी किया जा रहा है। बार- बार सैंपल होने की स्थिति मेें संबंधिंत उद्योग की बिजली भी काट दी जाती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिशासी अभियंता पवन शर्मा ने बताया कि प्रदूषित हवा को बढ़ावा देने वाले उद्योगों के साथ बैठकों के माध्यम से भी हवा इडेक्स को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है।क्या कहते हैं बोर्ड के अधिशासी अभियंता पवन शर्मा
कालाअंब में प्रदूषण बेकाबू होता जा रहा है। यह बड़ी चुनौती बन गया है। इस बाबत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कालाअंब के अधिशासी अभियंता पवन शर्मा ने बताया कि प्रदुषण फैलाने वाले उद्वोगों की शिकायतें बोर्ड को प्राप्त हो रही है। उन्होने बताया कि समय समय पर हवा के सैंपल उद्वोगों के क्षेत्र से लेकर पांवटा साहिब स्थित लैब टेस्टिंग के लिए भेजे जा रहे हैं। वहीं तय मानकों पर खरे ना उतरने वाले उद्वोगों पर बोर्ड द्वारा चालान भी किया जा रहा है। वहीं बार बार सैंपल होने की स्थिती मेे सम्बधिंत उद्वोग की बिजली भी काट दी जाती है। बैठकों के माध्यम से भी हवा इंडेक्स को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है।
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