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राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद हाईकमान ने बड़ा फैसला लिया है। हिमाचल में इस बार विधानसभा चुनाव में पांच साल संगठन में सक्रिय रहने वालों को ही टिकट दिया जाएगा। पार्टी में वंशवाद की प्रवृत्ति खत्म करने के लिए टिकट आवंटन में यह शर्त लागू रहेगी। अभी परंपरा रही है कि पार्टी के किसी विधायक के निधन के बाद उसके बेटे या परिवार के सदस्य को टिकट दिया जाता रहा है। भले ही वह संगठन से जुड़ा हो या नहीं। अब ऐसी स्थिति में पहले संगठन में काम करने का अनुभव देखा जाएगा।
कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में भी यह मामला प्रमुखता से उठा था। इसे सभी राज्यों में प्रदेश कांग्रेस को सख्ती से लागू करने के फरमान दिए हैं। साथ ही हाईकमान ने एक परिवार को एक ही टिकट देने का निर्णय किया है। इस फैसले को इस विधानसभा चुनाव में सख्ती से लागू किया जाता है तो प्रदेश कांग्रेस के नेताओं और उनके बच्चों की टिकट की हसरतें टूट जाएंगी। हिमाचल कांग्रेस के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सुक्खू ने कहा कि हाईकमान ने स्पष्ट कहा है कि पार्टी टिकट उन नेताओं को देंगे, जो संगठन के काम में पिछले पांच साल से तन मन से जुटे हैं।
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