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बागवानी विभाग हिमाचल प्रदेश के सौजन्य से नौहराधार में New Zealand के विशेषज्ञों ने बागवानों को High-density Apple Plant की प्रुनिंग, देख-रेख व बिमारी से बचाव के बारे में बगीचे में जाकर जानकारी दी। उन्होने कहा कि, Scientifically बगीचों में नए सेब के पौधे लगाने से बीमारियों से बचाया जा सकता है और साथ ही पौधों का विकास भी तेजी से होता है। सेब के नए पौधों को लगाने से पहले अच्छे से उपचार करना जरूरी है। वैज्ञानिक सलाह से बगीचों में नए सेब के पौधे लगाने से बीमारियों से बचाया जा सकता है। सेब के नए पौधों को लगाने से पहले अच्छे से उपचार करना जरूरी है।बागवानी विशेषज्ञों ने कहा कि, फरवरी से मार्च तक का समय सेब के नए पौधे लगाने के लिए उपयुक्त समय है। नए पौधे लगाने के लिए उपयुक्त समय दोपहर बाद ही रहता है। ऐसे समय में लगाए के सेब के पौधे आसनी से टिक जाते हैं। प्रदेश के बागवान रेड रॉयल और गोल्डन सेब के पौधे लगाना ज्यादा पसंद करते हैं। Orchards अन्य किस्मों के सेब पौधे भी खरीद सकते हैं। हिमाचल में अब नई किस्म के अमेरिकन, इटली, न्यूजीलैंड के High-quality के सेब के पौधे लगाए जा रहे है, उससे कैसे अच्छी फसल ली जा सकती है। इस पौधे को कैसे तैयार करना है और कैसे ज्यादा फल लिए का सकते है, यह भी विस्तार से बताया। साथ ही पौधे में टहनी का अंतर, Branch कौन सी रखनी है व दवा छिड़काव कैसे करना है, इस पर विस्तृत जानकारी दी गई।विदेशी experts ने बताया कि, भारत में सेब की अनेक किस्में प्रचलित है। इन किस्मों का चयन क्षेत्र की जलवायु और भौगोलिक स्थितियों को ध्यान में रखकर किया जाता है। सेब की उन्नत किस्मों में सन फ्यूजी, रैड चीफ, ऑरिगन स्पर, रॉयल डिलीशियस व हाइब्रिड आदि किस्म प्रमुख हैं। इसके अलावा सेब की अन्य किस्में भी है, जिनमे टाप रेड, रेड स्पर डेलिशियस, रेड जून, रेड गाला, रॉयल गाला, रीगल गाला, अर्ली शानबेरी, फैनी, विनौनी, चौबटिया प्रिन्सेज, ड फ्यूजी व ग्रैनी स्मिथ आदि शामिल है।गौरतलब है कि, संगड़ाह Block मे कईं साल से HDO का पद खाली होने से 44 पंचायतों के बागवानों को समय पर सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल रहा है। सरकार व विभाग की लापरवाही से यहां शिमला व कुल्लू जैसी मूलभूत सुविधाएं न मिलने से सेब उत्पादकों मे सरकार के प्रती नाराजगी है। विशेषज्ञों के साथ मौजूद बागवानी विकास अधिकारी राजगढ़ श्यामा नंद ने बागवानों को टीम द्वारा दी गई जानकारी को हिंदी में अनुवाद करके समझाया और उनके सवाल-जवाब Translate किए। विशेषज्ञों की टीम में डेविड मेक्निलोह, जेक हीउज, मिल जोन्स टन न्यूजीलैंड से शामिल रहे। इनके साथ उद्यान विकास कार्यालय संगड़ाह के फेस्लिटेटर नितेश व हितेश भी मौजूद रहे।
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