News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)
चूड़धार यात्रा के दौरान हाल ही मे उत्तराखंड की एक महिला व इटरनल University बडू साहिब के 18 छात्रों का लापता होने के मामले को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने ऐसी चटनाओं पर रोक लगाने के लिए कमर कस ली है। बुधवार को नोहराधार में एसडीएम संगड़ाह डॉ विक्रम नेगी की अध्यक्षता में इस बारे एक अहम बैठक आयोजित की गई।
बैठक राजस्व, पुलिस, वन विभाग, लोक निर्माण, जल शक्ति, स्वास्थ्य विभाग व पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा चूड़ेश्वर समिति के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि, नौहराधार से चूड़धार जाने वाले मुख्य रास्ते से कोई भी पर्यटक अथवा श्रदालु 3 बजे के बाद चुड़धार की यात्रा पर नही जाएगा और अगली सुबह तक यात्रा पर प्रतिबंध रहेगा। नौहराधार बाजार से लेकर चूड़धार तक साइन बोर्ड लगाए जाएगे, जिसकी जिम्मेदारी चूड़धार मे भंडारे व रात्री विश्राम की व्यवस्था करने वाली चूड़ेश्वर सेवा ने ली है।
प्रसाशन ने एडवाइजरी जारी कर दी है और इसे नौहराधार में मौजूद चूड़धार के रास्ते के मुख्य प्रवेश द्वारा व कुछ अन्य जगहों पर लगाया जाएगा। चूड़धार जाने वाले यात्रियों से पूछताछ की जाएगी तथा साथ में Advise भी किया जाएगा। SDM ने सभी लोगों से appeal की है कि, सभी स्थानीय लोग भी श्रदालुओं को समझाए कि, शाम के समय सफर न करें। जंगल मे रास्ता भटकने वालों की तलाशी के लिऐ एक Rescue Team भी गठित की गई है, जिसे आवश्यक उपकरण अथवा साजो सामान भी प्रसाशन मुहैया करेगा।
बैठक में सुझाव दिए गए कि, करीब 16 किलोमिटर नौहराधार-चूड़धार मार्ग पर बीच बीच मे सोलर लाइट की व्यवस्था की जाए जिसके लिए चूड़ेश्वर समिति के पदाधिकारीयों ने हामी भरी। प्रशासन, व्यापार मंडल, सदस्य चूड़ेश्वर सेवा समिति व वन विभाग के सहयोग से कुछ स्थानों पर पहले सूचना पट्टिकाएं लगाई गई है। चूड़ेश्वर सेवा समिति फिर से चुनिंदा स्थानों पर साइन बोर्ड लगाएगी। बाकायदा सूचना पट्टिका में मोबाइल के नेटवर्क के बारे में भी बताया गया है कि, यहां पर नेटवर्किंग की समस्या है, बैटरी बचा के रखें, यह रास्ता नही, इधर न जाए आदि। अधिकतर श्रदालु व पर्यटक सेल्फी, फोटो शूट व रोमांच के चक्कर मे रास्ते से बाहर चले जाते है।
हर वर्ष हिमाचल के अलावा बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं का भोले के दर्शन के लिए तांता लगा रहता है। गौरतलब है कि चूड़धार के जंगलों में कई लोग रास्ता भटक चुके है यहां तक कि, न्ही श्रुति सहित कुछ जान भी गवां चुके हैं।
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