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मुख्य सचिव रामसुभग सिंह को पद से हटाए जाने के बारे में कई चर्चाएं हो रही हैं। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) उनकी कार्यशैली से संतुष्ट नहीं था। पीएमओ ने उनके खिलाफ हुई एक शिकायत उपयुक्त कार्रवाई करने के लिए सरकार को भी भेजी थी। हाल ही में धर्मशाला में हुई मुख्य सचिवों की कॉन्फ्रेंस में भी रामसुभग सिंह डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाए। माना जा रहा है कि यह भी उन्हें बदले जाने का कारण हो सकता है। वहीं, हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार ने अपने साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में छह मुख्य सचिव बदल दिए हैं। रामसुभग सिंह सहित वीसी फारका, बीके अग्रवाल और अनिल खाची बतौर मुख्य सचिव अपना कार्यकाल पूरा भी नहीं कर सके। विनीत चौधरी और डॉ. श्रीकांत बाल्दी ही मुख्य सचिव रहते हुए समय पर सेवानिवृत्त हुए। अब आरडी धीमान प्रदेश सरकार के सातवें मुख्य सचिव बनाए गए हैं।
दिसंबर 2017 में जब जयराम सरकार सत्ता में आई थी, तब कांग्रेस सरकार के समय के मुख्य सचिव वीसी फारका थे। सरकार बदलते ही मुख्य सचिव वीसी फारका को हटाकर प्रधान सलाहकार के पद पर नियुक्ति दी गई। विनीत चौधरी को सुपरसीड कर फारका को कांग्रेस सरकार ने मुख्य सचिव बनाया था। चौधरी को कांग्रेस सरकार ने प्रधान सलाहकार लगाया था। सरकार बदलते ही भाजपा ने विनीत चौधरी को मुख्य सचिव लगाया। विनीत चौधरी ने अपना कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे बीके अग्रवाल को मुख्य सचिव लगाया गया। अग्रवाल अपने कार्यकाल के बीच में ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर दिल्ली लौट गए।
इसके बाद डॉ. श्रीकांत बाल्दी को मुख्य सचिव बनाया गया। इन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। बाल्दी आजकल रेरा के चेयरमैन हैं। इसके बाद अनिल खाची को मुख्य सचिव लगाया गया। इन्हें बीच कार्यकाल में ही बदल दिया गया। खाची वर्तमान में राज्य चुनाव आयोग को संभाल रहे हैं। खाची के बाद रामसुभग सिंह जुलाई 2021 में मुख्य सचिव बने थे।
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