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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले विधायक धड़ाधड़ अपनी प्राथमिकताएं बांट रहे हैं। वे फील्ड में उतरकर विभिन्न क्षेत्रों की सड़कों, पेयजल और सिंचाई की प्राथमिकताएं तय कर रहे हैं। कई विधायकों ने पिछले कुछ वर्षों में सीएम की घोषणा के दौरान बजट बुक के कई खाने खाली छोड़ दिए थे। उन्होंने केवल टोकन बजट ही डाला था। वित्तीय वर्ष 2020-21 में तो प्रदेश के 13 विधायकों ने अपने हलके की दो-दो प्राथमिकताएं भी योजना विभाग को नहीं बताई थीं।नतीजतन एक अप्रैल से शुरू होने जा रहे वित्तीय वर्ष 2021-22 की बजट बुक में इनके विधानसभा क्षेत्रों के नाम के सामने के कॉलम खाली छोड़ने पडे़ थे। खाली खानों में 25-25 हजार रुपये का टोकन बजट अंकित किया गया था।
‘माननीय विधायक से स्कीम प्राप्त होने पर शामिल की जाएगी’ यह नोट बजट बुक में विधानसभा क्षेत्र से आगे की खाली जगह पर डाले गए। इसकी वजह यह मानी जाती रही कि बजट बुक में अपनी-अपनी प्राथमिकताएं शामिल करने का विधायकों पर बहुत दबाव रहता है और ऐसे में ‘एक अनार, सौ बीमार’ जैसी स्थिति बन जाती है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में सिंचाई योजनाओं की झंडूता, बिलासपुर, भटियात, हमीरपुर, भोरंज, नूरपुर, पालमपुर, फतेहपुर, लाहौल-स्पीति, नाचन, धर्मपुर, ठियोग, पच्छाद, कुटलैहड़ के विधायकों से प्राथमिकताएं नहीं मिली थीं।सड़कों और पुलों की झंडूता, बिलासपुर, भटियात, नूरपुर, फतेहपुर, जसवां परागपुर, लाहौल-स्पीति, धर्मपुर, ठियोग, पच्छाद औ कुटलैहड़ के विधायकों से प्राथमिकताएं नहीं आई थीं। पेयजल एवं मल निकास योजनाओं की भी झंडूता, बिलासपुर, भटियात, नूरपुर, फतेहपुर, लाहौल-स्पीति, ठियोग, पच्छाद और कुटलैहड़ से यह प्राथमिकताएं नहीं आई थीं। चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी कई विधानसभा हलकों में यही स्थिति रही। मगर अब विधायक फील्ड में उतरकर धड़ाधड़ इन प्राथमिकताओं को बांट रहे हैं।
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