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आजकल साइबर ठग लोगों के व्हाट्सऐप हैक कर उनके मित्रों से पैसे मांग रहे हैं। साइबर ठगों द्वारा लोगों के सिम को टू जी से फोर जी में अपग्रेड करने या नेटवर्क कनेक्टविटी को बेहतर बनाने का हवाला देते हुए लोगों के पास ग्राहक सेवा अधिकारी बनकर फोन किया जाता है, जिसमें लोगों को बेवकूफ बनाकर उनसे कॉल फार्वड का कोड डायल करवाया जाता है।
इससे सामने वाले व्यक्ति के मोबाइल पर आने वाले सभी फोन व डायल करवाए गए नंबर पर डायवर्ट हो जाती है। सभी टेलीकॉम कंपनियों के अलग-अलग डायवर्ट कोड हैं। इसके बाद साइबर अपराधी द्वारा अपने मोबाइल में व्हाट्सएप को खोलकर उसमें पीडि़त के मोबाइल नंबर को डाला जाता है, मोबाइल नंबर वेरीफिकेशन व व्हाट्सऐप एक्सेस के लिए सर्वप्रथम टेक्स्ट मैसेज जाता है। जब ऐप में ओटीपी नहीं डाली जाती, तो कुछ समय पश्चात ओटीपी प्राप्त करने हेतु कॉल का ऑप्शन साइबर अपराधियों द्वारा चुना जाता है, जिस पर व्हाट्सऐप द्वारा ओटीपी डिलीवर्ड करने हेतु कॉल किया जाता है।क्योंकि उस नंबर पर आने वाले सभी कॉल पहले से ही साइबर अपराधी के मोबाइल पर डायवर्ट होते हैं।
इससे व्हाट्सऐप की ओटीपी डिलीवरी कॉल साइबर अपराधी के मोबाइल नंबर पर जाती है, जहां से ओटीपी प्राप्त कर पीडि़त के व्हाट्सऐप का एक्सेस साइबर अपराधियों द्वारा ले लिया जाता है तथा टू स्टेप वेरीफिकेशन भी लगा दिया जाता है, जिससे पीडि़त पुन: अपने व्हाट्सऐप खाते का एक्सेस नहीं ले पाता है। उधर, एएसपी साइबर क्राइम शिमला नरवीर सिंह राठौर का कहना है कि साइबर ठगों द्वारा ठगी का यह नया तरीका अपनाया जा रहा हैं। उन्होंने लोगों से इस बारे में सावधान रहने को कहा है।
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