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न्यायालय ने महर्षि मार्कंडेश्वर विश्वविद्यालय (एमएमयू) व मार्कंडेश्वर मेडिकल कालेज तथा अस्पताल कुमारहट्टी द्वारा छात्रों से अधिक फीस वसूलने करने पर प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग द्वारा लगाए गए 45 लाख रुपए के जुर्माने पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश अहमद-ए-सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किए। मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार आयोग ने जांच के पाया था कि वर्ष 2012 से 2020 की अवधि के दौरान लगभग 1100 एमबीबीएस छात्रों से 103 करोड़ 96 लाख 53 हजार रुपए की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूली गई है।
इस कारण मार्कंडेश्वर मेडिकल कालेज कुमारहट्टी पर आयोग की ओर से 45 लाख का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना लगाए जाने के आदेश को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है।याचिका में दलील दी गई है कि प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की ओर से पारित आदेशों पर पूर्ण कोरम द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए थे। आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि आयोग के दो सदस्यों में से जिन्होंने इस मामले की सुनवाई की थी।
एक सदस्य शशिकांत शर्मा ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि उनकी बेटी भी विश्वविद्यालय में नामांकित थी। आयोग ने उक्त वसूली संबंधी आदेश वर्ष 2013-14 बैच की एमबीबीएस छात्रा निवेदिता राव व यामिनी की शिकायत पर पारित किए थे। शिकायत की गई थी कि हालांकि उन्होंने अतिरिक्त ट्यूशन फीस की वसूली को लेकर शुरू में ही विरोध किया था, लेकिन उन्हें ये कहकर धमकाया गया कि फीस न जमा करने पर डिग्री पूरी नहीं होने दी जाएगी।
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