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भाजपा प्रदेश सह प्रभारी संजय टंडन ने कहा को आम आदमी पार्टी के हाल जैसे 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। जिस पार्टी को अपनी गारंटी ना हो वो आम जनता की गारंटी किया लेगी। टंडन ने कहा की आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार के ट्विन टावर का खुलासा दिल्ली में हो चुका है। आप ने शिक्षा और शराब में बड़ा घोटाला किया है। उन्होंने कहा की कोरोना महामारी के विषम दौर में आम आदमी पार्टी के नेता अपने करीबी शराब ठेकेदारों के लिए नई शराब नीति लेकर आई , जिससे लाइसेंस धारको को अनुचित लाभ दिया जा सके । मनीष सिसोदिया के सीधे आदेश के बाद आबकारी विभाग ने भी शराब के ठेकेदारों का 144.36 करोड़ रुपये का शुल्क माफ कर दिया । टंडन ने कहा सिसोदिया ने वादा किया था कि नई आबकारी नीति से दिल्ली सरकार को कर राजस्व में 10,000 करोड़ रुपये मिलेंगे , पर झूठ कहा ज्यादा टिकता है , नीति के लागू होने की पहली तिमाही में ही मुश्किल से मात्र 500 करोड़ रुपये ही सरकारी खजाने में आए । अगर इसे पूरे वित्तीय वर्ष में जोड़ दिया जाए , तो भी दिल्ली सरकार को 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान होना तय है और यह सारा पैसा आम जनता की जेब से आम आदमी पार्टी के करीबी शराब माफ़ियों की जेब में जाएगा ।
टंडन ने कहा शराब माफियाओं को लाभ देने तथा युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकलने के लिए दिल्ली की आप सरकार ने प्रत्येक वार्ड में शराब के ठेके खोलने की अनुमति भी दे दी । 22 जुलाई 2022 को , दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 की सीबीआई जांच की सिफारिश की । उन्होंने कहा भ्रष्टाचार कही जनता के सामने ना जाए , तो तुरंत 30 जुलाई को प्रेस कांफ्रेंस कर मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति को वापस लेने का ऐलान कर दिया । आम आदमी पार्टी द्वारा लिए गए इस ‘ यू – टर्न ‘ से साफ हो जाता है की दाल में कुछ काला नहीं ये पूरी दाल ही काली है । उन्होंने कहा की दिल्ली के यह शराब खोर अब हिमाचल की युवा पीढ़ी को नशे के दश में फंसा कर बर्बाद करने आए हैं । टंडन में कहा आप सरकार ने दिल्ली में 500 नए स्कूल बनाने का वादा किया था , पर आज तक एक भी नया स्कूल नहीं बना । मौजूदा स्कूलों क्लासरूम के निर्माण में भी आप सरकार द्वारा धांधली की गई ।
दिल्ली में स्कूलों में सभी नियमों को ताक पर रखते हुए कक्षाओं के निर्माण की श्रेणी में बदलाव किया गया । क्लासरूम बनाने के नाम पर , शौचालय , प्रयोगशाला , संगीत कक्ष , आदि को समकक्ष क्लास रूम के रूप में दिखाया गया । निर्माण की लागत 326.25 करोड़ रुपए तक बढ़ाया गया , जो निविदा की आवंटित राशि से 53 % अधिक है । 194 विद्यालयों में 160 शौचालयों की आवश्यकता थी पर लगभग 37 करोड़ रुपए के अतिरिक्त व्यय के साथ 1214 शौचालयों का निर्माण किया गया । दिल्ली सरकार ने शौचालयों की गिनती की और उन्हें कक्षाओं के रूप में कागजों में प्रदर्शित किया । दिल्ली के 194 स्कूलों में 6133 कक्षाओं का निर्माण होना था , जिसकी जगह 141 विद्यालयों में केवल 4027 अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण किया गया । प्रत्येक कक्षा की औसत लागत 33 लाख रुपये थी , क्या एक क्लासरूम बनाने में इतना खर्च आता है ? दिल्ली सरकार ने जनता का यह पैसा किसकी जेब में डाला ?
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