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तिब्बती नागरिकों के चीन की ओर से डीएनए नमूने लेने का हिमाचल प्रदेश में विरोध शुरू हो गया है। इस संबंध में भारत-तिब्बत समन्वय संघ पत्र लिखकर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत करेगा। संघ के उत्तर क्षेत्रीय अध्यक्ष बीआर कौंडल और राज्य उपाध्यक्ष तेनजिन ने इसे दुर्भाग्यजनक बताते हुए कहा है कि इस मसले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा करेंगे और कार्रवाई की मांग की जाएगी।
चीन ने तिब्बती नागरिकों के डीएनए संग्रह के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस कार्रवाई में वह पांच साल से कम उम्र के बच्चों के रक्त के नमूने ले रहा है। मानवाधिकार निगरानी समूह की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन तिब्बत में गंभीर अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।
मौजूदा मामले में वह इन लोगों का डाटा एकत्र कर मनमानी कर सकेगा। हालांकि चीन इसे जनसंख्या प्रबंधन नीति का हिस्सा बता रहा है। चीन इस प्रक्रिया के सबूत भी मिटा रहा है, ताकि दुनिया को इसका पता न चले।
चीन बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा के अनुयायियों को भी जेल में बंद कर रहा है। तिब्बती युवाओं को जबरन चीनी सेना में भर्ती किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाकर तिब्बत को आजाद करवाने व कैलाश मानसरोवर को चीन के चंगुल से छुड़ाने के लिए कदम उठाए।
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