News Portals सबकी खबर (शिमला) प्रदेश के स्कूलों में शिक्षक गृह क्षेत्र या शहरी स्कूलों में ही अपनी सेवाएं देने के लिए कितने इच्छुक हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग में इन दिनों के ट्रांसफर के लिए डीओ नोट लगी सैकड़ों फाइलों ने कर्मचारियों को परेशान कर रखा है। उच्च शिक्षा विभाग हो या प्रारंभिक शिक्षा विभाग दोनों विभाग की ट्रांसफर ब्रांच में एक स्टेशन के लिए 8 से 10 डीओ नोट लगे हैं। ज्यादातार मामले मुख्यमंत्री के लगे डीओ नोट के हैं और प्रारंभिक शिक्षा विभाग में 300 से 400 डीओ नोट लगाकर तबादलों की सिफारिशें आ रही हैं। वहीं उच्च शिक्षा विभाग की बात की जाए, तो यहां पर रोजाना 100 से 200 मामले ट्रांसफर के रोजाना आ रहे हैं। खासबात ये है कि शिक्षक अपने गृह क्षेत्र या शहरी एरिया के लिए ही सिफारिश में लगे हैं, जबकि दूर-दराज और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक ज्यादा जाने के इच्छुक नहीं होते। दरअसल कुछ समय पहले ही प्रारंभिक शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा प्रोमोशन हुई है। ऐसे में टीजीटी, शास्त्री से लेकर लेक्चरर करीब 1225 शिक्षक प्रोमोट हुए हैं। अधिकतर स्कूलों में जो शिक्षक पिछली पोस्ट से प्रोमोट हुए उनके स्कूल खाली हो गए हैं ऐसे में शिक्षक यह मौका नहीं गंवाना चाहते और अपनी पंसद के स्कूलों में जाने के लिए पूरी सिफारिश लगा रहे हैं। कर्मचारियों पर भर इन दिनों काम का बोझ बढ़ गया है और उन्हें लगातार शिक्षक भी फोन पर संपर्क कर सकते हैं। कर्मचारी इतने तंग आ चुके हैं कि उन्हें अपने पर्सनल फोन ऑफिस समय में भी बंद रखने पड़ रहे हैं।
बता दे कि प्रदेश सरकार ने नई ट्रांसफर पॉलिसी को लागू किया है, लेकिन हिमाचल में शिक्षा विभाग केवल ट्रांसफर करने वाला विभाग बनकर रह गया है। शिक्षक भी पढ़ाना छोड़ अपनी ट्रांसफर और घर के नजदीक एडजेस्टमेंट में लगे रहते हैं। गौरतलब है कि हरियाणा में भी शिक्षकों की ट्रांसफर पॉलिसी है, जहां एक क्लिक पर ट्रांसफर होती है, लेकिन हिमाचल सरकार ने इस पॉलिसी को अपना आधार इसलिए नहीं बनाया, क्योंकि हरियाणा और हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां भिन्न हैं।
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