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November 23, 2024

NH-707 पर निरीक्षण करने पहुंची विश्व बैंक, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की सयुक्त टीम पर लगे अनदेखी के आरोप

News portals-सबकी खबर (शिलाई)

राष्ट्रीय राजमार्ग 707 की लगभग 90 किलोमीटर लम्बी पट्टी को ग्रीन कोरिडोर बनाया जा रहा है। जिसको बनाने के लिए लगभग 14 सौ करोड़ रुपए से अधिक का लॉन केंद्र सरकार ने विश्व बैंक से उठाया है। लेकिन मौका पर राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाया जा रहा यह ग्रीन कोरिडोर शुरू से घटिया सामग्री, बेतरतीवी सहित अधिकारियों की अनदेखी का शिकार होता रहा है। मौका का निरीक्षण करने पहुंच रही विश्व बैंक, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की सयुक्त टीम पर अनदेखी के आरोप लग रहे है। जिसके कारण लाभान्वित होने वाले लोगों में कर्ज पर उठाए गए सरकार के अरबों रुपए का दुरुपयोग करने को लेकर भारी रोष व्याप्त है। जानकारी के अनुसार 19 सितंबर को विश्व बैंक, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की सयुक्त टीम राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को जांचने, लोगों को हो रही समस्याओं को समझने और सुलझाने के लिए मौका का निरीक्षण करने पहुंची थी। पावटा साहिब से जैसे ही सयुक्त टीम का काफिला ग्रीन कोरिडोर बनने वाले मार्ग पर निकला, तो एरिया के लोगों को उम्मीद थी कि यह टीम लोगों की समस्याओं को सुनेगी और उनके समाधान करेंगी। इसलिए सतोंन, बोहराड, कमरऊ, तिलोरधार, कफोटा, टिम्बी, शिलाई, धकोली, श्रीक्यारी, नायल खड्ड, कांडोधार, बांदली, धारवा, द्राबिल, जामली, मिनस, रोहाणा, गुम्मा, फेडिज सहित अन्य दर्जनों जगह पर लोग अपनी समस्याओं को लेकर खड़े थे। लोगों को उम्मीद थी कि वह जांच टीम के सामने अपनी समस्याएं रखेंगे और उनके समाधान मांगेगे। लेकिन जांच टीम पावटा साहिब से निकली और पहले फेस टू का कार्य कर रही आरजीवी कम्पनी के कार्यालय में रुकी, वहां से निकलते ही सीधा मिनस में फेस फ़ॉर का कार्य कर रही डीसी कंपनी के कार्यालय में जा पहुंची। जहां पर जांच टीम के लिए वीवीआईपी जलपान की व्यवस्था की गई थी। बीच में इक्का, दुक्की जगह पर मात्र ओपचारिकताएं पूर्ण करने के जांच टीम ने हवा में अपनी गाड़ियों को ब्रेक जरूर मारी, लेकिन लोगों की समस्याओं को दरकिनार करती नजर आई। इतना ही नही बल्कि डीसी कंपनी के मिनस कार्यालय से आगे के कार्य को जांचने की जगह जांच टीम वहीं से वापिस पावटा साहिब के लिए रवाना हो गई। इस बीच जांच टीम ने लोगों की समस्याओं को एक जगह भी नही सुना। ना ही मार्ग पर हो रहे कार्य में किसी सामग्री के सैंपल भरे है। दरअसल ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। बल्कि हर बार जांच टीम पर ऐसे आरोप देखने को मिलते रहे है। जिससे यहां जांच टीम पर ही सवाल खड़े हो रहे है।

क्षेत्रीय लोगों की माने तो जिला सिरमौर के अंदर राष्ट्रीय राजमार्ग 707 को केंद्र सरकार ग्रीन कोरिडोर बना रही है। 14सौ करोड़ से अधिक का बजट विश्व बैंक से कर्ज लेकर, ग्रीन कोरिडोर के टेंडर अलग अलग पांच कंपनियों को दिए गए है। लेकिन यहां विकास के नाम पर निजी कंपनियां और राजमार्ग प्राधिकरण मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे है। भ्रष्टाचार मे लिप्त प्रशासनिक अम्ला की कार्यप्रणाली से अन्य सभी तरह की जांच टीमें प्रभावित है। इसलिए निजी कंपनियों की मौका पर मनमर्जी चल रही है। फेस फॉर पर कार्य कर रही डीसी कंपनी ने करोड़ों मिट्रिक टन मलबा मिनस सहित टोंस नदी में सरेआम डाल दिया है। और वर्तमान में बचे हुए कार्य का मलबे को सरेआम नदी में डाल रही है। फेस टू का कार्य कर रही आरजीवी कम्पनी ने सड़क के मलबे से सैकड़ों बीघा लोगों की निजी भूमि बर्बाद कर दी है। दोनो ही कपनियों के डैपिंगयार्ड अधिकांश जगह गिर चुके है। पहाड़ी सर्चना वाला क्षेत्र होने के बाद दोनो कंपनियों ने दीवारों में खड़े पत्थरों का इस्तेमाल किया है। जिससे मार्ग की सुरक्षा दिवारे, मार्ग पूर्ण होने से पहले गिरने की कगार पर आ गई है। कंपनियों ने बेतरतीवी करते हुए मौका पर 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया है। और विश्व बैंक, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जांच टीम को इनका कार्य सबसे अच्छा नजर आ रहा है? अक्सर जांच टीम का काफिला इन्ही कंपनियों के कार्यालयों में जाकर रुक जाता है। और वहीं से वापिस अपने कार्यालय को जांच टीम चली जाती है। जगह जगह लोग मार्ग पर अपनी समस्याओं को लेकर खड़े रहते है। 19 सितंबर को भी ऐसा ही नजारा सामने आया है। लोग जगह जगह समस्याओं को लेकर खड़े थे। लेकिन जांच टीम ने लोगों को हो रहे नुकसान और समस्याओं को अनदेखा करके बेतरतीवी करने वाली कंपनियों की पीठ थपथपाई है। इसलिए यहां यह साबित होता है कि प्रशासनिक अम्ला व जांच टीमों के बीच भ्रष्टाचार की कड़ी गहरी है।

एरिया के लोगो ने मांग की है कि केंद्र सरकार जांच टीमों सहित राजमार्ग प्राधिकरण पर जांच बिठाएं, कंपनियों द्वारा मौका पर इस्तेमाल की जा रही तमाम सामग्री के सैंपल क्षेत्रीय लोगों के सामने भरे जाए। और उनकी बारीकी से जांच की जाना जरूरी है। सरकार यदि मौका से कंपनियों के इस्तेमाल किए जा रहे मेट्रियल के सेंपल भरकर निष्पक्ष जांच करती है तो जांच टीमों सहित राजमार्ग प्राधिकरण की करनी और कथनी सरकार के सामने खुद आ जाएगी। केंद्र सरकार से यह मांग की जाती है कि मौका पर जितने डैम्पिंगयार्ड गिरे है। और जो क्षेत्रीय लोगों सहित वन विभाग का नुकसान हुआ है। उसका सही आकलन करके कंपनियों से मुआवजा प्रदान करवाया जाएं। आश्चर्य इस बात से हो रहा है कि जिन जगहों पर निजी कंपनियों ने बेतरतीव मलबा फेंका है। वह अधिकांश जगह वन विभाग की आती है। जिनमे सबसे अधिक एरिया फेस फॉर पर कार्य कर रही कम्पनी के एरिया में आता है। यहां अधिकांश जगह वन विभाग की भूमि और टोंस नही को डंपिंगयार्ड बनाया गया है। बावजूद उसके विश्व बैंक, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की टीम का कंपनियों पर मेहरबान होना कई तरह के संशय और सवाल पैदा कर रहा है! फिर यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि वनस्पतियों, नदी, नालों सहित एरिया के लोगों को नुकसान पहुंचाना और ग्रीनकोरिडोर को बनाने के लिए घटिया क्वालिटी की सामग्री का इस्तेमाल करवाकर सरकार किस तरह का ग्रीनकोरिडोर बनाने जा रही होगी? राजमार्ग प्राधिकरण के प्रोजेक्ट डारेक्टर विवेक पांचाल की माने तो मौका पर सभी कंपनियां अपना कार्य कर रही है। जहां बेतरतीवी हुई है। वहां पर कंपनियों को सही कार्य करने के लिए कहा गया है। लोगों की शिकायते सुनी जा रही है। लेकिन मीडिया को किसी भी प्रकार का वजर्न देने के लिए वह अधिकृत नहीं है, इसलिए कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। और राजमार्ग प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को वह मीडिया के साथ सांझा नही करेंगे

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