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शिलाई उपमंडल की रास्त पंचायत में हर आँख नम है। चार मासूम बच्चों व एक महिला की मौत के बाद प्रदीप ने भी दम तोड़ दिया। आईजीएमसी ले जाते हुए प्रदीप ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।किसी ने नहीं सोचा होगा कि इस बारिश के बाद एक परिवार कभी सूरज नहीं देखेगा और मामा के घर मेहमान आई भांजी कभी अपने घर नहीं लौटेगी। मां के साथ सोई तीनों बेटियां कभी नीद से नहीं उठेंगे। ऐसे कहने से ही दिल दहल उठता है लेकिन शिलाई के खिजवाडी में लोगों ने इस दर्दनाक मंजर को देखा। दिल दहला देने वाली इस घटना में घायल प्रदीप कुमार ने भी दम तोड़ दिया।
पिछले चार दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण प्रदीप कुमार के घर पर भूस्खलन होने से पहाड़ का टुकड़ा परिवार पर कहर बनकर टूटा। प्रदीप कुमार की पत्नी ममता देवी, बेटियां इशिता, अविंशा और एरग अपनी माँ के साथ यह सोचकर सोई होगी कि जब सुबह बारिश बंद होगी तो नया सवेरा होगा । लेकिन बारिश ने ऐसा तांडव मचाया कि पल भर में एक हँसता खेलता परिवार काल का ग्रास बन गया।
मेहमान बनकर आई भांजी आवंशिका को भी काल का ग्रास बनना पड़ा। भूस्खलन की चपेट में आने से सबकी मौका पर ही मौत हो गई थी। जबकि प्रदीप कुमार ने आईजीएमसी पहुंचने से पहले नेरवा के समीप दम तोड़ दिया ।
अब परिवार में प्रदीप के माता-पिता के अलावा उनका 3 वर्षीय बेटा बचा है। जो अपने दादा दादी के साथ उनके घर गया हुआ था।दिल को दहला देने वाले हादसे ने समूचे गिरिखंड क्षेत्र को झंझोड़ कर रख दिया है। हर तरफ शोक की लहर दौड़ रही है। दर्दनाक सूचना मिलने के बाद हर कोई स्तब्ध है। सबकी जुबां पर एक ही बात आ रही है कि भगवान ऐसा किसी के साथ ना हो । मासूम बेटियों को अपनी माँ के साथ ही मुखाग्नि दी गई।हादसे के बाद प्रशासनिक अम्ला की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ रही है। यहां प्रशासन की तरफ से बरसात के दौरान की जाने वाली व्यवस्थाएं परिवार की सहायता नहीं कर पाई। क्षेत्र की नाकाफी स्वास्थ्य सेवाएं इतनी भी काम न आई कि घायल प्रदीप कुमार की जिंदगी बचा पाती। स्वास्थ्य हायर सेंटर जाने के रास्ते भी दुरुस्त न मिलें। यदि क्षेत्र के अस्पतालों में अच्छी व्यवस्था होती तो शायद प्रदीप कुमार की जान बच सकती थी।
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