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प्रदेश में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने ब्रेन स्ट्रोक का जल्द से जल्द पता लगाने का एक आसान, पोर्टेबल और सस्ता डिवाइस तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। इस डिवाइस की सहायता से समय रहते इस्केमिक स्ट्रोक का पता लगाया जा सकेगा। इस डिवाइस के विकास में पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ ने आईआईटी मंडी का सहयोग किया है। इस डिवाइस की मदद से देश भर में कहीं भी गांव देहात में किसी भी मरीज में ब्रेन स्ट्रोक की जांच बिना एमआरआई के की जा सकेगी, जिससे शीघ्र ईलाज संभव होगा और मरीज के समय व धन की बचत भी होगी। इस डिवाइस की मदद से स्ट्रोक का समय से पहले भी पता लगाया जा सकेगा। डिवाइस और इसके उपयोग के बारे में हाल ही में आईईईई सेंसर्ज जर्नल में एक शोध पत्र प्रकाशित किया गया था। यह शोध पत्र संयुक्त रूप से डा. शुभजीत रॉय चौधरी एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आईआईटी मंडी और उनके छात्र दालचंद अहिरवार के साथ-साथ डा. धीरज खुराना पीजीआई, चंडीगढ़ ने तैयार किया है। उल्लेखनीय है कि इस्केमिक स्ट्रोक का भारतीय आंकड़ा चिंताजनक है। हर साल हर 500 भारतीयों में एक को स्ट्रोक लगता है। इसका कारण मस्तिष्क में पूरा खून नहीं पहुंचना या रुक-रुककर पहुंचना है। सर्वे बताते हैं कि स्ट्रोक के कुल मामलों में लगभग 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखा गया है। इसके उपचार की कारगर व्यवस्था और इलाज इस पर निर्भर करता है कि समस्या का जल्द से जल्द पता चले और निदान शुरू किया जाए। वर्तमान में मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग एमआरआई और कम्प्यूटर फोटोग्राफी सीटी को इस्केमिक स्ट्रोक का पता लगाने का सबसे सटीक परीक्षण गोल्ड स्टैंडर्डमाना जाता है।
यह निदान निस्संदेह भरोसमंद हैं, लेकिन इनके लिए इन्फ्रस्ट्रक्चर और लागत काफी अधिक है। इस वजह से यह भारत की बड़ी आबादी की पहुंच से परे हैं। गौरतलब है कि देश में प्रत्येक 10 लाख लोगों पर केवल एक एमआरआई सेंटर है। शोध के बारे में आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डा. शुभजीत रॉय चौधरी ने बताया कि हमारा प्रयास जहां मरीज हैं, वहीं इस्केमिक स्ट्रोक की सटीक जांच के लिए सस्ता डिवाइस तैयार करना है। खास कर गांव देहात में मरीजों को इसका बहुत लाभ होगा। साधनहीन और दूरदराज के पिछड़े क्षेत्रों में समय से निदान मिलेगा। हमारी टीम ने एक छोटा वियरेबल डिवाइस डिजाइन और उसका विकास किया है, जो नियर इन्फ्ररेड स्पेक्ट्रोस्कोपी डायोड एनआईआरएस एलईडी के उपयोग से इस्केमिक स्ट्रोक का पता लगाने के लिए 650 एनएम से 950 एनएम रेंज में प्रकाश उत्सर्जन करता है। यह प्रकाश खून के रंगीन घटकों जैसे हीमोग्लोबिन से प्रतिक्रिया करता है और खून के विशेष लक्षणों को सामने रखता है।
जैसे संबंधित हिस्से में ऑक्सीजन सेचुरेशन ऑक्सीजन उपयोग और खून की मात्रा के सूचक का फिर विशलेषण किया जा सकता है। आईआईटी मंडी की टीम ने इस्केमिक स्थितियों में फरआर्म और मस्तिष्क के फ्रटल लोब में जैव मार्करों का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने अपने डिटेक्टर प्रोटोटाइप के वैलिडेशन के लिए फोरआर्म का एक्सपेरिमेंटल ऑक्ल्जून किया और फि र फ्रटल लोब पर इस्केमिक स्ट्रोक उत्पन्न किया और यह पाया कि डिवाइस में निदान की बेजोड़ क्षमता है। शोध के बारे में आईआईटी मंडी के शोध विद्वान दालचंद अहिरवार ने कहा कि हमें प्राप्त जानकारी के अनुसार संयुक्त मैट्रिक्स से खून में हीमोग्लोबिन की अस्थायी गतिविधि दिखती हैं, जिसकी मदद से उस हिस्से के टिश्यू में खून के नहीं पहुंचने या रुक-रुककर पहुंचने का आसानी से पता लगाया जा सकता है। हम ने इस्केमिक स्थितियों का अध्ययन करने के लिए ऑक्सीजन सैचुरेशन, संबंधित हिस्से में ऑक्सीजन की खपत और खून की मात्रा सूचकांक जैसे बायोमार्करों का उपयोग किया है, जो अन्य तकनीकों की तुलना में इस्केमिक स्थितियों का अधिक सटीक अनुमान दे सकते हैं।
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