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प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ डॉक्टर आज सामूहिक अवकाश पर हैं। मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। मंगलवार सुबह से डॉक्टर डॉक्टर न तो ओपीडी में बैठे और न ही मरीजों के ऑपरेशन हुए। डॉक्टर सिर्फ आपातकालीन सेवाएं दे रहे हैं। डॉक्टर फील्ड में तैनात विशेषज्ञ डॉक्टरों की तर्ज पर अकादमिक भत्ते की मांग कर रहे हैं। सरकार की ओर से मांग न मानने पर डॉक्टरों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला लिया है। प्रदेश में आईजीएमसी शिमला, नाहन, टांडा, नेरचौक, चंबा और हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज हैं। स्टेट मेडिकल और डेंटल कॉलेज अध्यापन एसोसिएशन (सेमडिकोट) के अध्यक्ष डॉ. राजेश सूद ने बताया कि प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों में तैनात विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या 500 से ज्यादा है।
डॉक्टरों ने इसकी सूचना मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को दे दी है। प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में इलाज करवाने आने वाले मरीजों को वरिष्ठ डॉक्टरों की सेवाएं नहीं मिलीं। सबसे अधिक परेशानी उन मरीजों हुई जिनके ऑपरेशन होने थे। आईजीएमसी के 250 वरिष्ठ डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर हैं। वरिष्ठ डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर होने से आज रूटीन के करीब 55 ऑपरेशन नहीं हुए। दूरदराज के क्षेत्रों से हर्निया, गाल ब्लेडर, हाथ, बाजू, टांग, आंखों, ईएनटी संबंधी बीमारियों के ऑपरेशन करवाने आने वाले मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी।
बता दे कि इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में रोजाना 3,000 से अधिक मरीजों की ओपीडी होती है। इनमें कंसलटेंट डॉक्टरों के साथ सीनियर और जूनियर डॉक्टर काम संभालते हैं। लेकिन मंगलवार को सीनियर और जूनियर डॉक्टरों ने ही यह काम संभाला। ओपीडी में चेकअप के बाद हर रोज करीब 100 से अधिक मरीज दाखिल किए जाते हैं। आईजीएमसी आरडीए (रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन) के अध्यक्ष डॉ. मनोज मैतान ने कहा कि वह 4 अक्तूबर तक सरकार के पक्ष को देखेंगे अगर सरकार ने इस मांग को पूरा नहीं किया तो आरडीए भी सेमडिकोट के पक्ष में हर रोज दो से तीन घंटे की हड़ताल शुरू कर देगी।
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