News portals-सबकी खबर (शिमला ) विधानसभा चुनावो में पहाड़ चढऩे का सपना देख रही आम आदमी पार्टी अपने पैर पीछे खींचते हुई दिख रही है। हिमाचल विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, तीसरे विकल्प के रूप में अपनी दावेदारी पेश करने वाली आप का जोश ठंडा पड़ता दिखाई दे रहा है। प्रदेश की जनता के बीच भी अब यह चर्चा का विषय बन रहा है कि जिस जोश के साथ आम आदमी पार्टी शुरू में हिमाचल में विधानसभा चुनावों को लेकर मैदान में उतरी थी, वह मंद होता दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर मुख्य राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस चुनावों को लेकर पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं। प्रदेश में 12 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर आप ने भले ही अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हों, लेकिन पार्टी हाईकमान की ओर से अभी तक न तो प्रचार के लिए किसी बड़े नेता के कार्यक्रम तय किए हैं, न ही कोई रणनीति बनाई है। हालांकि इससे पूर्व पंजाब में बड़ी जीत हासिल करने वाली आप पार्टी के हौसले पहले काफी बुलंद दिख रहे थे। पार्टी के समन्वयक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित पंजाब के मुख्यमंत्री और मनीष सिसोदिया जैसे बड़े नेताओं ने हिमाचल का रुख किया था और यहां की जनता को तीसरे विकल्प के तौर पर अपनी दावेदारी जताई थी।पार्टी नेताओं ने कांगड़ा मंडी, कुल्लू, सोलन सहित अन्य क्षेत्रों में रोड शो और रैलियां कर पार्टी को लांच किया था। प्रदेश की जनता को हिमाचल में भी सरकार बनने पर दिल्ली मॉडल लागू करने और गारंटियों के माध्यम से एक नया हिमाचल बनाने के सपने जरूर दिखाए थे, लेकिन जो हालात फिलहाल पार्टी के दिख रहे हैं, उससे लोगों के बीच तीसरे विकल्प को लेकर एक बहस जरूर शुरू हो गई है। उधर, पार्टी हाईकमान के इस रवैये से चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी भी काफी पसोपेश में दिख रहे हैं। उन्होंने चुनावी ताल तो ठोंक दी है, लेकिन जो हालात इस समय पार्टी के हैं, उससे उनका मनोबल भी कमजोर होता दिख रहा है। बताया जा रहा है कि इस समय पार्टी हाईकमान का हिमाचल के चुनावों की तरफ कोई ज्यादा रुझान नहीं रह गया है। पार्टी का सारा फोकस अब गुजरात चुनाव पर ही हो गया है।
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