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प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में देरी से पहुंचने पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर तलख टिप्पणी की। खंडपीठ ने कहा कि उच्च शिक्षा निदेशालय के अधिकारी और कर्मचारी अदालत में ही देरी से पहुंचते हैं तो कार्यालयों में कब पहुंचते होंगे। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई में अधिकारियों के देरी से पहुंचने के बाद आदेश दिए कि सभी विभागों, निगमों और बोर्डों में बायोमीट्रिक हाजिरी शुरू की जाए। खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव से आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 22 नवंबर को तलब की है। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता रजनीश पॉल ने हाईकोर्ट के निर्णय को लागू करने के लिए याचिका दायर की है।अदालत ने उसे वेतन वृद्धि के लिए हकदार ठहराया था, लेकिन शिक्षा विभाग अदालत के निर्णय को लागू करने में विफल रहा है। मामले में अदालत ने उच्च शिक्षा निदेशालय के जिम्मेदार अधिकारी को तलब किया थासुबह 10:05 बजे तक भी अधिकारी अदालत नहीं पहुुंचा तो खंडपीठ ने हैरानी जताते हुए कहा कि यदि अदालत में पेश होने के लिए ही अधिकारियों का ऐसा रवैया है तो वे दफ्तर कब पहुंचते होंगे। अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 संबंधी दिशा निर्देशों में ढील देते हुए बायोमीट्रिक हाजिरी लगाने की अनुमति दे दी है। देश के कई राज्यों ने कर्मचारियों को बायोमीट्रिक हाजिरी लगाना आवश्यक कर दिया है। अदालत ने अफसोस जताते हुए कहा कि व्यवस्था लागू करने में प्रदेश सरकार अभी भी गहरी नींद में है।
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