News portals-सबकी खबर (मनाली)
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कारण चाहे जो भी रहे हों लेकिन रिवाज बदलने का नारा लेकर चुनावी मैदान में उतरी भाजपा चारों खाने चित हो गई है। एक साथ सटी हिमाचल की मनाली और लाहौल-स्पीति विधानसभा सीट के दो दिग्गज चुनाव हार गए। निवर्तमान शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर जीत का चौका नहीं लगा पाए तो तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा भी सियासी पिच से आउट हो गए। विधानसभा चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले रहे हैं। कुल्लू और लाहौल-स्पीति जिले में कई दिग्गज चुनाव हार गए तो कई दिग्गजों का करिश्मा नहीं चल पाया| विधानसभा क्षेत्र लाहौल-स्पीति में जनता के बीच रहना और जनसमस्याओं को मुद्दा बनाकर उठाना कांग्रेस के रवि ठाकुर के लिए फायदेमंद साबित हुआ। साथ ही आम आदमी पार्टी से जुड़े कई नेताओं का आजाद फ्रंट बनाना और फिर कांग्रेस में आजाद फ्रंट का विलय होना भी कांग्रेस के लिए ही संजीवनी साबित हुआ, वहीं, लगातार तीन बार जीत हासिल करने वाले भाजपा के गोविंद सिंह ठाकुर मनाली में खुद चुनाव हार गए। मनाली में कांग्रेस की एकता जीत के लिए सबसे अधिक मददगार साबित हुई। टिकट आवंटन से पहले ही टिकट के तलबगारों ने माता हिडिंबा के मंदिर में एकता की कसमें खाई थीं।भुवनेश्वर गौड़ को टिकट मिलने के बाद मंदिर में खाई कसम पर अडिग रहते हुए कांग्रेसियों ने एकजुट होकर कार्य किया। टिकट हासिल करने से पिछड़े नेता भी कदम से कदम मिलाकर साथ चले। कुल्लू सदर की बात करें तो यहां दिग्गज नेता महेश्वर सिंह का करिश्मा नहीं चल पाया। ऐन मौके पर टिकट कटने के बावजूद महेश्वर सिंह ने हाईकमान की बात मानते हुए भाजपा प्रत्याशी नरोत्तम ठाकुर के लिए प्रचार किया। वहीं, बंजार से दिग्गज नेता खीमी राम शर्मा पार्टी बदलने के बाद भी सत्ता में काबिज नहीं हो सके। पूर्व में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष एवं वन जैसे बड़े मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले खीमी राम शर्मा को हार का मुंह देखना पड़ा। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बार मतदाताओं ने मुद्दों के आधार पर मतदान किया है। मनाली विधानसभा इस बार चाचा-भतीजा की जोड़ी ने कमाल की जुगलबंदी की। कांग्रेस के सभी नेता एक मंच पर नजर आए, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी भुवनेश्वर गौड़ और उनके भतीजे रोहित वत्स धामी हर सभा में साथ चले। धामी के तीखे एवं चुटकीलेे भाषणों ने मतदाताओं को खूब रिझाया।
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