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देवभूमि में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। इसका अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि 2020 से लेकर 2022 तक 2 वर्ष 10 महीनों में प्रदेश में बलात्कार के1123 मामले दर्ज हुए हैं। चौंकाने वाली बात सामने आई है कि परिचितों ने ही सबसे ज्यादा दुष्कर्म की वारदातों की अंजाम दिया है। इनमें सबसे ज्यादा 545 परिचितों ने ही पीड़ितों के साथ दुष्कर्म किया। कुल मिलाकर 48.5 फीसदी मामलों में आरोपित पीड़िता के ही परिचित पाए गए। शादी का झांसा देकर हुए दुष्कर्म के मामले दूसरे नंबर पर हैं। 27 फीसदी मामलों में पहले दोस्ती की गई और फिर बलात्कार किया गया। 16.5 फीसदी मामलों में शादी के झूठे वादे के बहाने दुष्कर्म किया गया। 3 फीसदी मामले लिव इन रिलेशनशिप के दौरान घटित हुए। जबकि 4.6 फीसदी मामले अज्ञात व्यक्तियों ने अंजाम दिए। राज्य पुलिस के अनुसार महिला अपराधों पर जागरूकता के जरिए रोक लग सकती है। ऐसे अपराध को कम करने के लिए शिक्षण संस्थानों को संवेदनशील बनाने की भी आवश्यकता जताई है। महिलाओं की शिकायतों के निवारण के लिए पुलिस विभाग ने महिला हेल्प डेस्क संख्या 1091 स्थापित की है। पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से पूरे राज्य में जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए। अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए शिक्षण संस्थाओं को संवेदनशील बनाने की जरूरत है। महिलाओं की शिकायतों के निवारण के लिए महिला हैल्प डैस्क 1091 स्थापित किया गया है। लाहौल, किन्नौर को छोड़ कर सभी जिलों में महिला थाने खोले गए हैं। इनमें महिलाएं बेझिझक अपनी शिकायतें दर्ज करवा सकती हैं। महिला अपराधों से निपटने के लिए वीरांगना ऑन व्हील्स भी शुरू की है। पुलिस का दावा है कि इसके बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं।
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