News portals-सबकी खबर (शिलाई ) शिलाई विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत हलां में पिछले 23 सालों से अविरल मनाया जा रहा शहीद कल्याण सिंह मेमोरियल टूर्नामेंट पूरी तरह राजनीती की भेंट चढ़ गया। जानकारी के मुताबिक शहीद कल्याण सिंह मेमोरियल टूर्नामेंट जो पिछले 23 सालों से लगातार हो रहा था इस मर्तबा राजनीति की भेंट चढ़ गया है। जानकार बताते हैं कि शहीद कल्याण सिंह मेमोरियल टूर्नामेंट कमेटी द्वारा इस बार जुलाई महीनें की बजाय मई महीने में शहीद कल्याण सिंह मेमोरियल टूर्नामेंट मनाने का निर्णय लिया था , क्योंकि जुलाई महीने में अक्सर बारिश होती है जिसके चलते टूर्नामेंट सफल नहीं हो पाता है। इस मर्तबा दिए गए फैसले के मुताबिक 24 से 26 मई तक आयोजित होने वाले इस टूर्नामेंट में जमकर राजनीति हुई। बताते हैं कि यह टूर्नामेंट पूरी तरह राजनीतिक की भेंट चढ़ गया है जिसमें सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के लोगों द्वारा टूर्नामेंट का बहिष्कार किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि ग्राम पंचायत हलां के प्रधान पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे आरोप सिद्ध होने के बाद उन्हें निष्कासित कर दिया गया जिसकी टीस उस खेमे में अभी भी बरकरार थी और उन्होंने अपनी राजनीतिक खुन्नस शहीद कल्याण सिंह मेमोरियल टूर्नामेंट में निकालनी शुरू की। बताते हैं कि आज शहीद कल्याण सिंह मेमोरियल टूर्नामेंट का उद्घाटन एसडीएम द्वारा किया गया। केवल माल्यार्पण के बाद इस टूर्नामेंट को प्रशासन ने इतिश्री कर दिया। कमेटी का कहना है स्थानीय विधायक एवं उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के इशारों पर प्रशासन द्वारा टूर्नामेंट पर रोक लगा दी है। बताते हैं कि जैसे ही एसडीएम द्वारा शहीद कल्याण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया उसके बाद निष्कासित प्रधान गुट के सदस्य बीच मैदान में धरने पर बैठ गए और उन्होंने टूर्नामेंट नहीं होने दिया। बताते हैं कि प्रशासनिक अधिकारियों पर उद्योग मंत्री का दबाव होने के चलते प्रशासन ने भी माल्यार्पण के बाद इस टूर्नामेंट को इतिश्री कह दिया , जिसके चलते शहीद कल्याण सिंह मेमोरियल कमेटी भड़क गई और उन्होंने मैदान में ही एसडीएम और डीएसपी के समक्ष उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। शहीद कल्याण सिंह मेमोरियल कमेटी के सदस्य का कहना है कि उद्योग मंत्री के इशारों पर स्थानीय प्रशासन दबाव में कार्य कर रहा है और जो टूर्नामेंट पिछले 23 वर्षों से लगातार हो रहे थे वह इस मर्तबा नहीं हो पाया। कमेटी का कहना है कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सत्तारूढ़ सरकार शहीदों का कितना सम्मान करती है , जबकि राजनेताओं द्वारा शहीदों के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन सरकार के दावों की पोल सहित कल्याण सिंह मेमोरियल टूर्नामेंट में खुलती नजर आई जहां यह टूर्नामेंट राजनीति की भेंट चढ़ गया।
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