News portals-सबकी खबर (कफोटा) जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के अधिकांश विद्यालयों में स्टाफ की कमी के चलते ग्रामीण विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय प्रतीत होने लगा है।एक समय 12-13 पंचायतों के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का एकमात्र केन्द्र रहा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कफोटा लम्बे अरसे से स्टाफ की कमी से जूझ रहा है।किसी समय सतौन से लेकर शिलाई तक विज्ञान और वाणिज्य संकाय में शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एकमात्र विकल्प विद्यालय में अब न तो विज्ञान संकाय बचा और न ही वाणिज्य।बहुत लम्बे समय से विद्यालय में प्रवक्ता अंग्रेजी का एक पद,प्रवक्ता रसायन विज्ञान, प्रवक्ता भौतिक विज्ञान, प्रवक्ता जीव विज्ञान, प्रवक्ता गणित, प्रवक्ता आई टी, प्रवक्ता अर्थशास्त्र, प्रवक्ता वाणिज्य एक पद,सहायक लाइब्रेरियन और वरिष्ठ सहायक के पद रिक्त पड़े हैं जिसके कारण गरीब मेधावी विद्यार्थियों को विज्ञान और वाणिज्य संकाय में शिक्षा ग्रहण करने की इच्छा के बावजूद या तो कला संकाय में प्रवेश लेने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है या फिर कर्ज लेकर पांवटा और नाहन जैसे दूरस्थ शहरों के लिए रूख करना पड़ रहा है।
आधुनिक समय में जब विज्ञान और वाणिज्य की शिक्षा हर विद्यालय में अनिवार्य होनी चाहिए ताकि हर विद्यार्थी तक सुलभ हो वहां 80 किलोमीटर के दायरे में एक भी विद्यालय में यह सुविधा नहीं है।साथ लगते राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कमरऊ में पिछले शैक्षणिक सत्र तक कम से कम वाणिज्य संकाय का कुछ स्टाफ उपलब्ध था जिसके कारण कफोटा और आस पास के विद्यार्थी भी वाणिज्य संकाय के अध्ययन के लिए कमरऊ जा रहे थे।इस शैक्षणिक सत्र में वहां से भी वाणिज्य संकाय के एकमात्र प्रवक्ता के स्थानांतरण से अब विद्यार्थियों और अभिभावकों में रोष व्याप्त है।कमरे में अब सबसे महत्वपूर्ण अंग्रेजी विषय के प्रवक्ता का पद भी रिक्त हो गया है।
वहीं एक और विद्यालय राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय शावगा कान्डो में तो एकमात्र इतिहास विषय के प्रवक्ता होने के कारण और बाकि सभी पद रिक्त होने के चलते 10+1 और 10+2 कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या शून्य हो गई है जबकि इसी सत्र के आरम्भ में यह विद्यार्थी संख्या 27 थी।यही हाल गिरिपार के अधिकांश विद्यालयों का है जिससे शिक्षण व्यवस्था डगमगा गई है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कान्टी मशवा और कोटा पाब तो विद्यालय प्रबंधन समितियों के द्वारा विद्यांजली योजना के तहत रखे गए अल्पकालीन वैकल्पिक शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं।इसलिए स्थानीय लोगों और विद्यालय प्रबंधन समितियों ने सरकार से आग्रह किया है कि हर हाल में ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों के विद्यालयों में स्टाफ की समुचित व्यवस्था करें ताकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम धरातल पर भी सार्थक सिद्ध हो सके।
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