News portals-सबकी खबर (सोलन) टमाटर के दामों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। टमाटर के दामों में लगातार गिरावट के पीछे प्रमुख कारण बेंगलुरु में टमाटर का सीजन शुरू होना है। बुधवार को सोलन सब्जी मंडी में रहे दामों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए, तो एक सप्ताह पहले की तुलना में करीब 2000 रुपए प्रति क्रेट गिरावट आई है। बुधवार को टमाटर का अधिकतम मूल्य 8700 रुपए प्रति क्विंटल रहा, जबकि औसतन मूल्य 6200 रुपए प्रति क्विंटल रहा। न्यूनतम मूल्य 2500 रुपए प्रति क्विंटल रहा।अगर प्रति क्रेट के हिसाब से देखे तो 600 रुपए से लेकर 2100 रुपए प्रति क्रेट के बीच टमाटर बिका। पिछले सप्ताह के रहे दामों पर नजर दौड़ाई जाए, तो अधिकतम मूल्य 4200 रुपए प्रति क्रेट पहुंच गया था, लेकिन उसके बाद टमाटर के दामों का ग्राफ गिरता चला गया। मंडियों में दाम गिरावट आने के कारण खुदरा बाजार में भी टमाटर के दामों में कमी देखने को मिली, जो टमाटर पहले बाजार में 160 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा उसके दाम 50 फीसदी गिरकर अब 80 रुपए किलो पर पहुंच गए हैं। टमाटर के दामों में गिरावट के पीछे बेंगलुरु में टमाटर का सीजन आरंभ होने के साथ कोटी और चक्कीमोड़ के बीच राष्ट्रीय उच्च मार्ग-5 का भारी भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त होना भी रहा। करीब एक सप्ताह मार्ग बंद रहने के कारण मैदानी इलाकों से हिमाचल की ओर खरीदारों ने रुख नहीं किया। इसी बीच बेंगलुरु में भी टमाटर का सीजन आरंभ हो गया।
हालांकि बेंगलुरु से टमाटर की खेप अभी हिमाचल की मंडियों तक नहीं पहुंची है, लेकिन वहां की मंडियों में चल रहे दामों का असर यहां की मंडियों में देखने को मिला है। कारोबारियों की मानें तो आने वाले दिनों में टमाटर के दामों में और गिरावट आने की संभावनाएं हैं। पंद्रह अगस्त से नासिक से भी टमाटर का सीजन शुरू हो जाएगा, जिसका सीधा प्रभाव यहां की मंडियों में देखने को मिलेगा। गौरतलब है कि बेंगलुरु में टमाटर का सीजन आरंभ होने से पूर्व मैदानी इलाकों में हिमाचल से ही टमाटर की आपूर्ति हो रही थी। मैदानी इलाकों में डिमांड अधिक होने के कारण यहां की मंडियों में दामों का ग्राफ काफी ऊंचा रहा। हिमाचल प्रदेश में भी टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है। क्षेत्रफल पर नजर दौड़ाएं तो प्रदेश में 12500 हेक्टेयर भूमि पर टमाटर की पैदावार होती है। टमाटर उत्पादन में जिला सोलन पहले नंबर पर आता है। जिले में 5120 हेक्टेयर भूमि पर टमाटर की पैदावार होती है। हालांकि मौसम के अनुकूल न होने के कारण इस बार प्रदेश में भी टमाटर की पैदावार काफी हद तक प्रभावित हुई है।
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