News portals -सबकी खबर (शिमला) मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के संवदेनशील नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने राज्य में भारी बारिश और भू-स्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में ऋणधारकों की कठिनाइयों को कम करने के दृष्टिगत ऋण पुनःसंरचना के लिए निर्णायक कार्रवाई की है। राज्य सरकार ने 18 अगस्त, 2023 को प्रदेश को ‘प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र’ घोषित किया था। इस निर्णय के पश्चात मुख्यमंत्री ने बैंकों के साथ परामर्श कर आवश्यक उपायों को अंतिम रूप दिया। राज्य सरकार की यह पहल कृषि और संबद्ध गतिविधियों से संबंधित अग्रिमों को छोड़कर, सभी प्रकार के मौजूदा ऋणों की पुनःसंरचना पर केंद्रित है, जिनमें सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एम.एस.एम.ई), खुदरा और अन्य के लिए प्रदत्त ऋण शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के परिपत्र के अनुसार राज्य सरकार द्वारा फसल के नुकसान के आकलन के बाद कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए दिए गए ऋणों के लिए राहत उपाय प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस महत्त्वपूर्ण निर्णय का उद्देश्य उन लोगों को राहत प्रदान करना है जिनकी आर्थिक स्थिरता आपदा के कारण विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में व्यवधान और संपत्ति के नुकसान के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।
राहत उपायों के लिए पात्रता निर्धारित करने की मूल्यांकन तिथि 24 जून, 2023 निर्धारित की गई है। केवल वे खाते जो इस तिथि तक अतिदेय नहीं थे, ऋण पुनःसंरचना के लिए पात्र होंगे। संपूर्ण पुनःसंरचना प्रक्रिया सरकार द्वारा प्रदेश को प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित करने की तारीख 18 अगस्त, 2023 से तीन महीने के भीतर पूरी की जाएगी।
पात्र लोगों के लिए एक स्थगन अवधि लागू की जाएगी जिससे मामले-दर-मामले आधार पर मूल्यांकन किए गए आवश्यकता-आधारित पुनःसंरचना उपायों को लागू करने की तारीख से 12 महीने तक मूल किस्त के भुगतान को स्थगित करने की अनुमति मिलेगी। प्रभावितों को राहत के दृष्टिगत यह महत्त्वपूर्ण निर्णय आर.बी.आई. की सभी विनियमित संस्थाओं पर लागू होगा, जिसमें अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक (ग्रामीण और शहरी) और लघु वित्तीय बैंक शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित ऋणधारकों के लिए ब्याज छूट सुविधाओं की संभावना तलाशने के लिए आर.बी.आई. के साथ समन्वय करेगी। राज्य सरकार के इस कदम से प्रभावित ऋणधारकों को आवश्यक वित्तीय राहत मिलने की उम्मीद है, जिससे उन्हें इस विनाशकारी प्राकृतिक आपदा से उबरने अपने व्यवसायों के पुनर्निर्माण में मदद मिल सकेगी।
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